Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2016 · 4 min read

‘ मेरा हाल सोडियम-सा ’ [ लम्बी तेवरी, तेवर-शतक ] +रमेशराज

…………………………………………………
इस निजाम ने जन कूटा
हर मन दुःख से भरा लेखनी । 1

गर्दन भले रखा आरा
सच बोलूंगा सदा लेखनी ।

मैंने हँस-हँस जहर पिया
मैं ‘मीरा-सा’ रहा लेखनी । 3

मेरा स्वर कुछ बुझा-बुझा
मैं मुफलिस की सदा लेखनी । 4

मेरे हिस्से में पिंजरा
तड़पे मन का ‘सुआ’ लेखनी । 5

मेरा ‘पर’ जब-जब बाँधा
आसमान को तका लेखनी । 6

मन के भीतर घाव हुआ
मैं दर्दों से भरा लेखनी । 7

आदमखोरों से लड़ना
तुझको चाकू बना लेखनी । 8

शब्द-शब्द आग जैसा
कविता में जो रखा लेखनी । 9

छल सरपंच बना बैठा
इस पै अँगुली उठा लेखनी । 10

जो सोया भूखा-प्यासा
उसको रोटी जुटा लेखनी । 11

हर मन अंगारे जैसा
तू दे थोड़ी हवा लेखनी । 12

इसका दम्भ तोड़ देना
ये है खूनी किला लेखनी । 13

तुझसे जनमों का नाता
तू मेरी चिरसखा लेखनी । 14

मुझको क्रान्ति-गीत गाना
मैं शायर सिरफिरा लेखनी । 15

मुझमें क्रान्ति-भरा किस्सा
मुझको आगे बढ़ा लेखनी । 16

मुझमें डाइनामाइट-सा
इक दिन दूंगा दिखा लेखनी । 17

सच हर युग ऐसा धागा
जिसने हर दुःख सिया लेखनी । 18

कुम्भकरण जैसा सोया
तू विरोध को जगा लेखनी । 19

मुझ में जोश तोप जैसा
तू जुल्मी को उड़ा लेखनी । 20

‘सोच’ आग-सा धधक रहा
मन कंचन-सा तपा लेखनी । 21

ये ख़याल मन उभर रहा
मैं रोटी, तू तवा लेखनी । 22

जिबह कबूतर खुशियों का
पंखों को फड़फड़ा लेखनी । 23

सिसके निश-दिन मानवता
शेष नहीं कहकहा लेखनी । 24

हर कोई बस कायर-सा
बार-बार ये लगा लेखनी । 25

यहाँ बोलबाला छल का
सबने सबको ठगा लेखनी । 26

खामोशी से कब टूटा
शोषण का सिलसिला लेखनी । 27

खल पल-पल कर जुल्म रहा
इसके चाँटे जमा लेखनी । 28

घर के आगे ‘क्रान्ति’ लिखा
मेरा इतना पता लेखनी । 29

जिन पाँवों में कम्पन-सा
बल दे, कर दे खड़ा लेखनी । 30

‘झिंगुरी’ को गाली देता
क्रोधित ‘होरी’ मिला लेखनी । 31

मैंने ‘गोबर’ को देखा
नक्सलवादी हुआ लेखनी । 32

‘धनिया’ ने ‘दाता’ पीटा
दिया मजा है चखा लेखनी । 33

खूनी उत्सव रोज हुआ
ये कैसी है प्रथा लेखनी । 34

घुलता साँसों में विष-सा
कैसी है ये हवा लेखनी । 35

महज पतन की ही चर्चा
सामाजिक-दुर्दशा लेखनी । 36

जन चिल्ला-चिल्ला हारा
बहरों की थी सभा लेखनी । 37

अपने को नेता कहता
जो साजिश में लगा लेखनी । 38

वही आज संसद पहुँचा
जो गुण्डों का सगा लेखनी । 39

सुख तो एक अदद लगता
दर्द हुआ सौ गुना लेखनी । 40

धर्मराज फिर से खेला
आदर्शों का जुआ लेखनी । 41

जो मक्कार और झूठा
वो ही हर युग पुजा लेखनी । 42

राजा रसगुल्ले खाता
भूखी है पर प्रजा लेखनी । 43

जज़्बातों से वो खेला
सबका बनकर सगा लेखनी । 44

सुन वसंत तब ही आया
पात-पात जब गिरा लेखनी । 45

मुझमें ‘दुःख’ ऐसे तनता
मैं फोड़े-सा पका लेखनी । 46

कैसे कह दूँ अंगारा
जो भीतर तक बुझा लेखनी । 47

मेरा हाल ‘सोडियम’-सा
मैं पानी में जला लेखनी । 48

भले आज तम का जल्वा
लेकिन ये कब टिका लेखनी । 49

कैसा नाटक रचा हुआ
लोग रहे सच छुपा लेखनी । 50

उसका अभिनंदन करना
जो अपने बल उठा लेखनी । 51

जन के लिये न्याय बहरा
चीख-चीख कर बता लेखनी । 52

जिनको भी अपना समझा
वे करते सब दगा लेखनी । 53

अनाचार से नित लड़ना
फड़क रही हैं भुजा लेखनी । 54

अंधकार कुछ तो टूटा
बार-बार ये लगा लेखनी । 55

तू चलती, लगता चलता
साँसों का सिलसिला लेखनी । 56

जीवन-भर संघर्ष किया
मैं दर्दों में जिया लेखनी । 57

और नहीं जग में तुझ-सा
जो दे उत्तर सुझा लेखनी । 58

कैसे सत्य कहा जाता
सीख तुझी से लिया लेखनी । 59

उन हाथों में अब छाला
कल थी जिन पै हिना लेखनी । 60

चक्रब्यूह ये प्रश्नों का
अभिमन्यु मैं, घिरा लेखनी । 61

आकर मन जो दर्द बसा
कब टाले से टला लेखनी । 62

मन तहखानों में पहुँचा
जब भी सीढ़ी चढ़ा लेखनी । 63

टुकड़े-टुकड़े महज रखा
नेता ने सच सदा लेखनी । 64

छल स्वागत में खड़ा मिला
जिस-जिस द्वारे गया लेखनी । 65

जिसमें प्रभा-भरा जज़्बा
वह हर दीपक बुझा लेखनी । 66

जिसको सच का नभ छूना
पाकर खुश है गुफा लेखनी । 67

‘बादल देगा जल’ चर्चा
मौसम फिर नम हुआ लेखनी । 68

पग मेरा अंगद जैसा
अड़ा जहाँ, कब डिगा लेखनी । 69

प्रस्तुत उनको ही करना
जिन शब्दों में प्रभा लेखनी । 70

मुंसिफ के हाथों देखा
अदालतों में छुरा लेखनी । 71

शान्तिदूत खुद को कहता
हमें खून वो नहा लेखनी । 72

सबको पंगु बना बैठा
ये पश्चिम का नशा लेखनी । 73

न्याय-हेतु थाने जाना
जो चोरों का सगा लेखनी । 74

अनाचार बनकर बैठा
ईमानों का सखा लेखनी । 75

सच जब भी शूली लटका
‘भगत सिंह’-सा हँसा लेखनी । 76

मल्टीनेशन जाल बिछा
जन कपोत-सा फँसा लेखनी । 77

घर-घर में पूजा जाता
सुन बिनलौनी-मठा लेखनी । 78

नयी सभ्यता का पिंजरा
इसमें खुश हर सुआ लेखनी । 79

जिसमें दम सबका घुटता
भाती वो ही हवा लेखनी । 80

मृग जैसा मन भटक रहा
ये पश्चिम की तृषा लेखनी । 81

पल्लू थाम गाँव पहुँचा
महानगर का नशा लेखनी । 82

जिधर झूठ का भार रखा
उधर झुकी है तुला लेखनी । 83

आज आस्था पर हमला
मूल्य धर्म का गिरा लेखनी । 84

देव-देव सहमा-सहमा
असुर लूटते मजा लेखनी । 85

अब रामों सँग सूपनखा
त्यागी इनने सिया लेखनी । 86

आज कायरों कर गीता
अजब देश में हवा लेखनी । 87

चीरहरण खुद कर डाला
द्रौपदि अब बेहया लेखनी । 88

मनमेाहन गद्दी बैठा
किन्तु कंस-सा लगा लेखनी । 89

जहाँ नाचती मर्यादा
डिस्को का क्लब खुला लेखनी । 90

सबको लूट बना दाता
जो मंचों पर दिखा लेखनी । 91

मानव जब मति से अंधा
क्या कर लेगा दीया लेखनी । 92

हमने बगुलों को पूजा
हंस उपेक्षित हुआ लेखनी । 93

छल का रूप साधु जैसा
तिलक! चीमटा! जटा! लेखनी । 94

वह जो वैरागी दिखता
माया की लालसा लेखनी । 95

नदी निकट बगुला बैठा
रूप भगत का बना लेखनी । 96

जनहित में तेवर बदला
चीख नहीं है वृथा लेखनी । 97

हर तेवर आक्रोश-भरा
यह सिस्टम नित खला लेखनी । 98

इन तेवरियों से मिलता
असंतोष का पता लेखनी । 99

तेवर-तेवर अब तीखा
जन-जन की है व्यथा लेखनी । 100

मन ‘विरोध’ से भरा हुआ
खल के प्रति अति घृणा लेखनी । 101

पूछ न आज तेवरी क्या ?
बनी अग्नि की ऋचा लेखनी । 102
——————————————————
+रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630

Language: Hindi
256 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक दूसरे से कुछ न लिया जाए तो कैसा
एक दूसरे से कुछ न लिया जाए तो कैसा
Shweta Soni
हौसला
हौसला
Sanjay ' शून्य'
(21)
(21) "ऐ सहरा के कैक्टस ! *
Kishore Nigam
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
gurudeenverma198
अपनी नज़र में
अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
देश हमरा  श्रेष्ठ जगत में ,सबका है सम्मान यहाँ,
देश हमरा श्रेष्ठ जगत में ,सबका है सम्मान यहाँ,
DrLakshman Jha Parimal
अपनों को दे फायदा ,
अपनों को दे फायदा ,
sushil sarna
पढ़ने की रंगीन कला / MUSAFIR BAITHA
पढ़ने की रंगीन कला / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
नारी का अस्तित्व
नारी का अस्तित्व
रेखा कापसे
" दम घुटते तरुवर "
Dr Meenu Poonia
-- फिर हो गयी हत्या --
-- फिर हो गयी हत्या --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
अंत में पैसा केवल
अंत में पैसा केवल
Aarti sirsat
19, स्वतंत्रता दिवस
19, स्वतंत्रता दिवस
Dr Shweta sood
"सुखी हुई पत्ती"
Pushpraj Anant
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
कवि दीपक बवेजा
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
कवि रमेशराज
#धर्म
#धर्म
*Author प्रणय प्रभात*
कवि
कवि
Pt. Brajesh Kumar Nayak
लड़कियां जिसका भविष्य बना होता है उन्हीं के साथ अपना रिश्ता
लड़कियां जिसका भविष्य बना होता है उन्हीं के साथ अपना रिश्ता
Rj Anand Prajapati
धड़कूँगा फिर तो पत्थर में भी शायद
धड़कूँगा फिर तो पत्थर में भी शायद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
एकादशी
एकादशी
Shashi kala vyas
आज फिर जिंदगी की किताब खोली
आज फिर जिंदगी की किताब खोली
rajeev ranjan
सदविचार
सदविचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
18- ऐ भारत में रहने वालों
18- ऐ भारत में रहने वालों
Ajay Kumar Vimal
कटखना कुत्ता( बाल कविता)
कटखना कुत्ता( बाल कविता)
Ravi Prakash
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
Mohan Pandey
कातिल
कातिल
Dr. Kishan tandon kranti
संविधान से, ये देश चलता,
संविधान से, ये देश चलता,
SPK Sachin Lodhi
Loading...