Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2016 · 1 min read

मेरा ठिकाना-८ –मुक्तक—डी के निवातियाँ

दरख्त मिटे गए मिटा परिंदो का आशियाना
खेत खलिहानों को मिटा, बना लिया घराना
इस कदर विकास हावी हुआ इस जमाने में
पशु पक्षी दूजे से पूछे, कहाँ है मेरा ठिकाना !!
!
!
!
डी के निवातियाँ _________@

Language: Hindi
441 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"प्रेम और क्रोध"
Dr. Kishan tandon kranti
अकेलापन
अकेलापन
Neeraj Agarwal
कभी कभी पागल होना भी
कभी कभी पागल होना भी
Vandana maurya
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
Buddha Prakash
परिवार
परिवार
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
श्री राम
श्री राम
Kavita Chouhan
■ चुनावी साल...
■ चुनावी साल...
*Author प्रणय प्रभात*
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
Rj Anand Prajapati
भौतिकता
भौतिकता
लक्ष्मी सिंह
चोट ना पहुँचे अधिक,  जो वाक़ि'आ हो
चोट ना पहुँचे अधिक, जो वाक़ि'आ हो
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हम कवियों की पूँजी
हम कवियों की पूँजी
आकाश महेशपुरी
होली -रमजान ,दीवाली
होली -रमजान ,दीवाली
DrLakshman Jha Parimal
23/170.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/170.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम्हे याद किये बिना सो जाऊ
तुम्हे याद किये बिना सो जाऊ
The_dk_poetry
* मायने शहर के *
* मायने शहर के *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्वाद छोड़िए, स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए।
स्वाद छोड़िए, स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए।
Sanjay ' शून्य'
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
gurudeenverma198
हम वो फूल नहीं जो खिले और मुरझा जाएं।
हम वो फूल नहीं जो खिले और मुरझा जाएं।
Phool gufran
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
Rambali Mishra
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
VINOD CHAUHAN
* जब लक्ष्य पर *
* जब लक्ष्य पर *
surenderpal vaidya
हो गई जब खत्म अपनी जिंदगी की दास्तां..
हो गई जब खत्म अपनी जिंदगी की दास्तां..
Vishal babu (vishu)
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
कवि रमेशराज
अशोक चाँद पर
अशोक चाँद पर
Satish Srijan
मेरे छिनते घर
मेरे छिनते घर
Anjana banda
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
उजियार
उजियार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
.......... मैं चुप हूं......
.......... मैं चुप हूं......
Naushaba Suriya
मुहब्बत का घुट
मुहब्बत का घुट
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
गज़ल
गज़ल
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...