Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2017 · 1 min read

मेघ,,,, कुछ हाइकु

₹जैहिंद के हाइकु

सुनाई नानी
कल रात कहानी
बरखा रानी ।

मेघ गरजा
जीवों का मन हर्षा
आई बरसा ।

बादल दानी
चली पूर्वा सुहानी
आशाएँ जागीं ।

ठुमके मोर
बच्चे मचाएँ शोर
गिनूँ मैं पोर ।

झींगुर-बोल
दादुर पीटे ढोल
हो गई भोर ।

घन तड़के
लो बारिश टपके
तन तरसे ।

=== मौलिक ====
दिनेश एल० “जैहिंद”
08. 07. 2017

Language: Hindi
393 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
आतंकवाद को जड़ से मिटा दो
आतंकवाद को जड़ से मिटा दो
gurudeenverma198
ऐसा इजहार करू
ऐसा इजहार करू
Basant Bhagawan Roy
सर्दियों की धूप
सर्दियों की धूप
Vandna Thakur
धुएं से धुआं हुई हैं अब जिंदगी
धुएं से धुआं हुई हैं अब जिंदगी
Ram Krishan Rastogi
(19) तुझे समझ लूँ राजहंस यदि----
(19) तुझे समझ लूँ राजहंस यदि----
Kishore Nigam
खूबसूरत है....
खूबसूरत है....
The_dk_poetry
तब याद तुम्हारी आती है (गीत)
तब याद तुम्हारी आती है (गीत)
संतोष तनहा
मौसम ने भी ली अँगड़ाई, छेड़ रहा है राग।
मौसम ने भी ली अँगड़ाई, छेड़ रहा है राग।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
I hope you find someone who never makes you question your ow
I hope you find someone who never makes you question your ow
पूर्वार्थ
" खामोश आंसू "
Aarti sirsat
■ सियासत के बूचड़खाने में...।।
■ सियासत के बूचड़खाने में...।।
*Author प्रणय प्रभात*
मां
मां
Manu Vashistha
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
तिरंगा
तिरंगा
लक्ष्मी सिंह
"अस्थिरं जीवितं लोके अस्थिरे धनयौवने |
Mukul Koushik
🌸हास्य रस घनाक्षरी🌸
🌸हास्य रस घनाक्षरी🌸
Ravi Prakash
*परिचय*
*परिचय*
Pratibha Pandey
मउगी चला देले कुछउ उठा के
मउगी चला देले कुछउ उठा के
आकाश महेशपुरी
अंदर का मधुमास
अंदर का मधुमास
Satish Srijan
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
Rj Anand Prajapati
खिलौने वो टूट गए, खेल सभी छूट गए,
खिलौने वो टूट गए, खेल सभी छूट गए,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
बेजुबाँ सा है इश्क़ मेरा,
बेजुबाँ सा है इश्क़ मेरा,
शेखर सिंह
हे मन
हे मन
goutam shaw
देशभक्त
देशभक्त
Shekhar Chandra Mitra
मुक्तक - जिन्दगी
मुक्तक - जिन्दगी
sushil sarna
शु'आ - ए- उम्मीद
शु'आ - ए- उम्मीद
Shyam Sundar Subramanian
श्री विध्नेश्वर
श्री विध्नेश्वर
Shashi kala vyas
* आए राम हैं *
* आए राम हैं *
surenderpal vaidya
Loading...