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22 Sep 2016 · 1 min read

मुहब्बत है

सलोने ख्याव को हर पल सजाये मुहब्बत है
तभी तों जिन्दगी में बस मुसीबत ही मुसीबत है

लहू से कर बगावत जब जवानी ये चली आती
छुअन भर से बड़ा भूचाल ले आती कयामत है

नयी गढ़ती कहानी जब हिमाकत उन दिलों में हो
इबारत प्यार की महके न तब कोई सलामत हो

अदायें जब लुभायें तो इबादत प्यार की होगी
मुसाफिर जिन्दगी में हो बयाँ वो ही हकीकत है

जलालत प्रेम में सबने सहन की है यहाँ पर फिर
तभी तो ख्याल में जिन्दा मुहब्बत की इमारत है

वफा मुझको मिली तो हीर मेरी आज फिर से है
भले हमको मिले फिर से जमाने से अदालत है

मिली है प्यार में हमको चुभन इतनी जमाने से
यहीं कारण कि हमको हो गयी बस आज नफरत है

डॉ मधु त्रिवेदी

70 Likes · 1 Comment · 392 Views
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