Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jul 2016 · 1 min read

“मुझे लौटा दो”

मेरी नींदें मुझे लौटा दो,
मेरे ख्वाब मुझे लौटा दो,
खो गया हूँ मैं अजनबी राहों में,
मेरी मंजिल मुझे लौटा दो,
मेरा संगीत मुझे लौटा दो,
मेरा साज मुझे लौटा दो,
गुम हो गयी है जो,
वो मेरी आवाज मुझे लौटा दो,
मेरी रोशनी मुझे लौटा दो,
मेरी बाती मुझे लौटा दो,
रोशन हो मेरा आशियाना,
मेरा चराग मुझे लौटा दो,
मेरा कल मुझे लौटा दो,
मेरा आज मुझे लौटा दो,
उड़ सकूँ खुले आसमान में,
मेरी परवाज मुझे लौटा दो,
मेरी हँसी मुझे लौटा दो,
मेरी मुस्कुराहट मुझे लौटा दो,
खुद से ही अजनबी हो रहा हूँ,
हो सके तो मुझे खुद को लौटा दो।

“सन्दीप कुमार”

Language: Hindi
615 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ रहस्यमयी कविता
■ रहस्यमयी कविता
*Author प्रणय प्रभात*
खुशी के माहौल में दिल उदास क्यों है,
खुशी के माहौल में दिल उदास क्यों है,
कवि दीपक बवेजा
धीरे धीरे  निकल  रहे  हो तुम दिल से.....
धीरे धीरे निकल रहे हो तुम दिल से.....
Rakesh Singh
" जुदाई "
Aarti sirsat
तुम्हें प्यार करते हैं
तुम्हें प्यार करते हैं
Mukesh Kumar Sonkar
अनुसंधान
अनुसंधान
AJAY AMITABH SUMAN
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय शोध लेख
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोय चिड़कली
दोय चिड़कली
Rajdeep Singh Inda
मेरे पास नींद का फूल🌺,
मेरे पास नींद का फूल🌺,
Jitendra kumar
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
मुस्कुराते हुए सब बता दो।
मुस्कुराते हुए सब बता दो।
surenderpal vaidya
ఓ యువత మేలుకో..
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
Vivek Mishra
सोचा नहीं कभी
सोचा नहीं कभी
gurudeenverma198
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
“गुरुर मत करो”
“गुरुर मत करो”
Virendra kumar
बादल
बादल
Shankar suman
हे मेरे प्रिय मित्र
हे मेरे प्रिय मित्र
कृष्णकांत गुर्जर
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
**मन में चली  हैँ शीत हवाएँ**
**मन में चली हैँ शीत हवाएँ**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपनी चाह में सब जन ने
अपनी चाह में सब जन ने
Buddha Prakash
कृष्ण कुमार अनंत
कृष्ण कुमार अनंत
Krishna Kumar ANANT
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
Manoj Mahato
ये सर्द रात
ये सर्द रात
Surinder blackpen
मातृ दिवस या मात्र दिवस ?
मातृ दिवस या मात्र दिवस ?
विशाल शुक्ल
आज की प्रस्तुति: भाग 3
आज की प्रस्तुति: भाग 3
Rajeev Dutta
शर्म
शर्म
परमार प्रकाश
बलिदान
बलिदान
लक्ष्मी सिंह
Loading...