Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2017 · 1 min read

मुझे ना साहूकार समझ

मुझे ना साहूकार समझ मुझे दिल की बीमारी है,
ला इलाज़ है मेरे दिल का दर्द, नज़रो में तेरी ही खुमारी है,
कैसे जीऊ आँखों में तेरा प्यार लेकर, पर प्यार ही मेरी बेक़रारी है,

मुझे ना साहूकार समझ मुझे दिल की बीमारी है,
तुम रहते हो मेरे सामने जब, दिल कहता है तुम्हे कह दू सब,
कैसे लगा लू तुमको गले से मैं, जब तू करता है हाथ पीछे अब,

मुझे ना साहूकार समझ मुझे दिल की बीमारी है,
दिल करता है मखमली चेहरा चुम लू, तू जो पास आओ हर दर्द भूल लू,
तू कर दे तनहा की तन्हाई को शयमल, फिर हर बात में दिन रात ढूंढ लू,

मुझे ना साहूकार समझ मुझे दिल की बीमारी है,
मैं खरीद नहीं पाउँगा जस्बात तेरे, मैं तनहा बिक जाऊंगा ऐसे हालत मेरे,
तुम रूठा न करो मेरे सनम मुझसे , मैं सोते हुए भी लिख दूंगा खयालात तेरे,
मुझे ना साहूकार समझ मुझे दिल की बीमारी है,

Language: Hindi
488 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
पापा आपकी बहुत याद आती है
पापा आपकी बहुत याद आती है
Kuldeep mishra (KD)
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
Yogendra Chaturwedi
" खामोशी "
Aarti sirsat
2403.पूर्णिका
2403.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"सुन रहा है न तू"
Pushpraj Anant
याद में
याद में
sushil sarna
सोचा होगा
सोचा होगा
संजय कुमार संजू
'मन चंगा तो कठौती में गंगा' कहावत के बर्थ–रूट की एक पड़ताल / DR MUSAFIR BAITHA
'मन चंगा तो कठौती में गंगा' कहावत के बर्थ–रूट की एक पड़ताल / DR MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
💐प्रेम कौतुक-340💐
💐प्रेम कौतुक-340💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुश्किल है बहुत
मुश्किल है बहुत
Dr fauzia Naseem shad
चलो♥️
चलो♥️
Srishty Bansal
आज नहीं तो निश्चय कल
आज नहीं तो निश्चय कल
Satish Srijan
जब भी मनचाहे राहों ने रुख मोड़ लिया
जब भी मनचाहे राहों ने रुख मोड़ लिया
'अशांत' शेखर
*लोग क्या थे देखते ही, देखते क्या हो गए( हिंदी गजल/गीतिका
*लोग क्या थे देखते ही, देखते क्या हो गए( हिंदी गजल/गीतिका
Ravi Prakash
तुम मेरी किताबो की तरह हो,
तुम मेरी किताबो की तरह हो,
Vishal babu (vishu)
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
पूर्वार्थ
■ दोहा / इन दिनों...
■ दोहा / इन दिनों...
*Author प्रणय प्रभात*
न कल के लिए कोई अफसोस है
न कल के लिए कोई अफसोस है
ruby kumari
तुम्हारी याद आती है मुझे दिन रात आती है
तुम्हारी याद आती है मुझे दिन रात आती है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
आपकी हूँ और न पर
आपकी हूँ और न पर
Buddha Prakash
"कागज"
Dr. Kishan tandon kranti
एक शख्स
एक शख्स
Pratibha Pandey
When the ways of this world are, but
When the ways of this world are, but
Dhriti Mishra
बारिश की बूंदे
बारिश की बूंदे
Praveen Sain
धार्मिक होने का मतलब यह कतई नहीं कि हम किसी मनुष्य के आगे नत
धार्मिक होने का मतलब यह कतई नहीं कि हम किसी मनुष्य के आगे नत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
" भूलने में उसे तो ज़माने लगे "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
आओ चलें नर्मदा तीरे
आओ चलें नर्मदा तीरे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
उर्दू
उर्दू
Surinder blackpen
तुम भोर हो!
तुम भोर हो!
Ranjana Verma
Loading...