Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2017 · 1 min read

मुक्तक

मुझे गुजरा हुआ ज़माना याद आता है!
मुझे गुजरा हुआ अफसाना याद आता है!
वो ख्वाहिशों की रूह से लिपटी हुयी रातें,
मुझे तेरा क़रीब आना याद आता है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
359 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
कोरोना और पानी
कोरोना और पानी
Suryakant Dwivedi
पर्यावरण और प्रकृति
पर्यावरण और प्रकृति
Dhriti Mishra
"पँछियोँ मेँ भी, अमिट है प्यार..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
करके घर की फ़िक्र तब, पंछी भरे उड़ान
करके घर की फ़िक्र तब, पंछी भरे उड़ान
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मेरे अल्फ़ाज़
मेरे अल्फ़ाज़
Dr fauzia Naseem shad
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
🌲दिखाता हूँ मैं🌲
🌲दिखाता हूँ मैं🌲
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
जन्म दिवस
जन्म दिवस
Jatashankar Prajapati
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
Hanuman Ramawat
वही दरिया के  पार  करता  है
वही दरिया के पार करता है
Anil Mishra Prahari
ਦਿਲ ਦਾ ਗੁਲਾਬ
ਦਿਲ ਦਾ ਗੁਲਾਬ
Surinder blackpen
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
Taj Mohammad
वो लड़का
वो लड़का
bhandari lokesh
कलानिधि
कलानिधि
Raju Gajbhiye
#दोहे
#दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
💐प्रेम कौतुक-265💐
💐प्रेम कौतुक-265💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरे प्रिय कलाम
मेरे प्रिय कलाम
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
“ हमारा फेसबूक और हमरा टाइमलाइन ”
“ हमारा फेसबूक और हमरा टाइमलाइन ”
DrLakshman Jha Parimal
चौकड़िया छंद के प्रमुख नियम
चौकड़िया छंद के प्रमुख नियम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"शहीद वीर नारायण सिंह"
Dr. Kishan tandon kranti
SuNo...
SuNo...
Vishal babu (vishu)
पहली बार रेल में बैठे (बाल कविता )
पहली बार रेल में बैठे (बाल कविता )
Ravi Prakash
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
gurudeenverma198
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
Shweta Soni
गुज़िश्ता साल -नज़्म
गुज़िश्ता साल -नज़्म
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
Er.Navaneet R Shandily
#2024
#2024
*Author प्रणय प्रभात*
ग़म
ग़म
Dr.S.P. Gautam
Loading...