Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2017 · 1 min read

मुक्तक

रोटी
(1)
मन क्लान्त है दुख शोक से सम्भावनाएँ शून्य हैं |
स्पंदन हीन सभी दिखते मनभावनाएँ शून्य हैं |
मासूम रोटी को तरसते दर्द को नित सह रहे –
गंदी सियासत पल रही संवेदनाएँ शून्य हैं |

(2)
ख्वाब बुनते नित नयन सपने सुहाने देखते हैं |
नित नये करतब दिखाते रोज ही दम तोड़ते हैं |
पूर्ति और आपूर्ति की लहरों में गोते रोज खाते –
शब्द और भावों की हर दम रोटियाँ वो सेंकते हैं |

(3)
रोटी का ही सब चक्कर रोटी का ही सब खेल है |
इसके कारण मानव पिसता बन जाता जस रेल है |
पेट अगर ना होता यारों कितना अच्छा होता –
होते ना अपराध जगत में गहराता बस मेल है |
©®मंजूषा श्रीवास्तव

Language: Hindi
484 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे अंतस में ......
मेरे अंतस में ......
sushil sarna
आदत में ही खामी है,
आदत में ही खामी है,
Dr. Kishan tandon kranti
We make Challenges easy and
We make Challenges easy and
Bhupendra Rawat
🌼एकांत🌼
🌼एकांत🌼
ruby kumari
आदि ब्रह्म है राम
आदि ब्रह्म है राम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मैं
मैं
Vivek saswat Shukla
घे वेध भविष्याचा ,
घे वेध भविष्याचा ,
Mr.Aksharjeet
अब जीत हार की मुझे कोई परवाह भी नहीं ,
अब जीत हार की मुझे कोई परवाह भी नहीं ,
गुप्तरत्न
2597.पूर्णिका
2597.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
■ आज का संदेश
■ आज का संदेश
*Author प्रणय प्रभात*
खालीपन
खालीपन
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*बहुत सस्ते में सौदा हो गया लोगों के वोटों का (हिंदी गजल/ गी
*बहुत सस्ते में सौदा हो गया लोगों के वोटों का (हिंदी गजल/ गी
Ravi Prakash
हादसें पूंछ कर न आएंगे
हादसें पूंछ कर न आएंगे
Dr fauzia Naseem shad
उत्कृष्टता
उत्कृष्टता
Paras Nath Jha
अक्ल का अंधा - सूरत सीरत
अक्ल का अंधा - सूरत सीरत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मत रो लाल
मत रो लाल
Shekhar Chandra Mitra
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
I am sun
I am sun
Rajan Sharma
क्षितिज के पार है मंजिल
क्षितिज के पार है मंजिल
Atul "Krishn"
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज के युग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है
आज के युग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है
पूर्वार्थ
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का परिचय।
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का परिचय।
Dr. Narendra Valmiki
पतंग
पतंग
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*रिश्ते*
*रिश्ते*
Dushyant Kumar
उड़ान
उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्यासा के राम
प्यासा के राम
Vijay kumar Pandey
नया सपना
नया सपना
Kanchan Khanna
रेत सी जिंदगी लगती है मुझे
रेत सी जिंदगी लगती है मुझे
Harminder Kaur
संस्कार
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
बहुत ऊँची नही होती है उड़ान दूसरों के आसमाँ की
बहुत ऊँची नही होती है उड़ान दूसरों के आसमाँ की
'अशांत' शेखर
Loading...