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10 Jun 2017 · 1 min read

मुक्तक

नहीं आता मुझे किसी के ह्रदय पट को भेदना
आत्मग्लानी बची नहीं कहीं, है खत्म होगई वेदना l
अंतर्मन की शांति ढूंड रहा हर कोई देवालय में
किंतु अपनी त्रूटियों पर क्यों करता कोई खेद ना l

नीलम शर्मा

Language: Hindi
229 Views
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