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31 May 2017 · 1 min read

मुक्तक

उन्वान- मुकद्दर, भाग्य, तक़दीर।

कर रही नित नया प्रयास, मैं संवारने को तक़दीर।
बन जाए तक़दीर मेरी,नित खोजूं नयी तद्वीर।
भाग्य मुकद्दर और नसीब, किस स्याही से लिखा
क्या तासीर अपनाऊं मैं कि शुभ रंग रंगे तस्वीर।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
368 Views
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