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18 May 2017 · 1 min read

मुक्तक

कबतक जी सकूँगा नाकाम होते होते?
कबतक जी सकूँगा गुमनाम होते होते?
भटक रहा हूँ तन्हा मंजिल की तलाश में,
कबतक जी सकूँगा बदनाम होते होते?

#महादेव_की_कविताऐं’

Language: Hindi
472 Views
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