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28 Feb 2017 · 1 min read

मुक्तक

त्यौहार

सीली है पर सुलग रही है लकड़ियाँ,
तुम आओ तो कुछ बना ले हम..
जाने क्यों नाराज है बाबा,
तुम आओ तो मना ले हम..
हम जानते हैं कि तुम्हें अब जमीं नहीं दिखती…
कभी लौट के आऔ, तो त्यौहार मना ले हम..

पंकज शर्मा
झालावाड़(राज.)

Language: Hindi
415 Views
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