Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2017 · 1 min read

मुक्तक

तेरे बगैर मुझको कबतक जीना होगा?
जामे-अश्क मुझको कबतक पीना होगा?
भटकी हुई है जिन्द़गी राहे-सफर में,
जख्मे-दिल को हरपल कबतक सीना होगा?

#महादेव_की_कविताऐं’

Language: Hindi
238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तेरी मिट्टी के लिए अपने कुएँ से पानी बहाया है
तेरी मिट्टी के लिए अपने कुएँ से पानी बहाया है
'अशांत' शेखर
💐 Prodigi Love-47💐
💐 Prodigi Love-47💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*दादा जी डगमग चलते हैं (बाल कविता)*
*दादा जी डगमग चलते हैं (बाल कविता)*
Ravi Prakash
बेशक मैं उसका और मेरा वो कर्जदार था
बेशक मैं उसका और मेरा वो कर्जदार था
हरवंश हृदय
श्री श्याम भजन
श्री श्याम भजन
Khaimsingh Saini
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
संविधान
संविधान
लक्ष्मी सिंह
जयंत (कौआ) के कथा।
जयंत (कौआ) के कथा।
Acharya Rama Nand Mandal
किसी का भी असली किरदार या व्यवहार समझना हो तो ख़ुद को या किसी
किसी का भी असली किरदार या व्यवहार समझना हो तो ख़ुद को या किसी
*Author प्रणय प्रभात*
पतंग
पतंग
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ये मेरा हिंदुस्तान
ये मेरा हिंदुस्तान
Mamta Rani
शहीदे आजम भगत सिंह की जीवन यात्रा
शहीदे आजम भगत सिंह की जीवन यात्रा
Ravi Yadav
रामचरितमानस
रामचरितमानस
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
यादों की किताब बंद करना कठिन है;
यादों की किताब बंद करना कठिन है;
Dr. Upasana Pandey
💐💐दोहा निवेदन💐💐
💐💐दोहा निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
Sanjay ' शून्य'
आंख पर पट्टी बांधे ,अंधे न्याय तौल रहे हैं ।
आंख पर पट्टी बांधे ,अंधे न्याय तौल रहे हैं ।
Slok maurya "umang"
2386.पूर्णिका
2386.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सत्य की खोज में।
सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
VINOD CHAUHAN
ये कैसा घर है. . .
ये कैसा घर है. . .
sushil sarna
* मुस्कुराना *
* मुस्कुराना *
surenderpal vaidya
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
Phool gufran
आप क्या
आप क्या
Dr fauzia Naseem shad
सुबह की चाय मिलाती हैं
सुबह की चाय मिलाती हैं
Neeraj Agarwal
"बहुत दिनों से"
Dr. Kishan tandon kranti
सोते में भी मुस्कुरा देते है हम
सोते में भी मुस्कुरा देते है हम
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...