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16 Jul 2017 · 1 min read

मुक्तक – सावन कजरी

आईं सखियाँ गाये कजरी।
बिजुरिया मोती सी चमकी।
पिया ठाड़े दूरहि मुस्काये,
भीजी चुनरिया तनहिं लिपटी।।.
******
मेंहदी रची सखी हँसती।
देखि पिया महकी कहती।
दौड़े आये झूला झूले,
देखि कहती लहकी बहकी ।।.
सज्जो चतुर्वेदी

Language: Hindi
620 Views
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