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6 Aug 2017 · 1 min read

मित्रता (मुक्तक)

“मित्रता”

बनी ये मित्रता हमराज़ दिल की शान होती है।
यही सुख दुख भरोसे की सही पहचान होती है।
सदा हँस कर निभाना साथ नफ़रत को मिटा कर तुम-
भुला कर भेद मजहब के खिली मुस्कान होती है।

डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज, वाराणसी(मो.-9839664017)

Language: Hindi
1 Like · 376 Views
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