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21 Mar 2017 · 1 min read

मातृभूमि वन्दन

? विश्व कविता दिवस पर मातृभूमि वन्दन?

??????????
जम्बूद्वीप के भरतखण्ड में,
“आर्यावर्त महान” है।
आज धरा पर जिसकी अपनी,
एक अलग पहचान है।

दुनियां के परिदृश्य बदल गए,इसकी शान नहीं बदली।
गुरुता से परिपूर्ण सह्रदयता,मृदु मुस्कान नहीं बदली।

बुरे वक्त में रहे लूटते जिसे हजारों आतंकी।
फिर भी विकसित होते होते शान दिनोंदिन है चमकी।

गजनी और तैमूर जिसे मिट्टी में नहीं मिला पाए।
डच,फ़्रांसीसी अंग्रेजों ने जिस पर कोड़े बरसाए।

झेल हजारों आततायी गिर-गिर कर जो सम्भली है।
“भारत माता” रही पनपती नहीं तनिक भी बदली है।

दे-दे अपना लहू शहीदों ने सींचा जिसका आँचल।
तन के सारे घाव रहा धोता पावन गंगा का जल।

पहरेदार हिमालय-सा जिसकी करता हो रखवाली।
सागर जिसके चरण पखारे चन्द्र बिखेरे उजियाली।

उसी भारती की बगिया के हम-तुम-सब हैं सुंदर फूल।
पी गंगा-जमुना जल महके सिर धारे पद-पंकज धूल।

सुनो हिन्द के कर्णधार भारत की शान बढ़ाओ तुम।
तलवारों को “तेज” करो अब दुश्मन से टकराओ तुम।

सवा अरब की आबादी यदि एक बार भी हुंकारे।
किसकी यहाँ मज़ाल हिन्द को रणभूमि में ललकारे।

वीरों की पावन भूमि पर वीरों का अभिनन्दन है।
गौरवशाली ‘मातृभूमि’ को ‘सवा अरब’ का वन्दन है।
??????????
©तेजवीर सिंह ‘तेज’✍

Language: Hindi
748 Views
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