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24 Jun 2017 · 1 min read

माटी सुत

हम बैठे लगाकर उनकी आस,
मन में बसा है एक विश्वास,
ताक रहे हम सदियों से ऊपर गगन,
कब होगा काले मेघो का आगमन ,
अब आओ तुम जाओ बरस,
रहे हम कब से यूं ही तरस,
हम माटी में पले,माटी के हैं सुत,
हरो तृष्णा बन कर आओ देवदूत,
धरा भी कर रही है अब पुकार ,
ओढने को हरी चुनरिया हो रहा इंतजार,
कब तक गंवाए हम अपनी जान ,
खाने को अन्न नहीं गवाँ रहें सम्मान,
राह देख रही मिलने को गली,
चाह रही खिलने को वो कली,
सुनो इन्द्रदेव टूट रहा धैर्य अब,
बरसेगा अमृत रूपी जल कब,
दिखाओ प्रभू हम पर अपनी दया,
उठा उठा जिम्मेदारियां जल रही काया,
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
432 Views
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