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11 Feb 2017 · 1 min read

माँ

मातु , उर की चेतना आनंद का आकाश है |
शिशु-सुजीवन अति सुहावन बनाने का रास है|
प्रीतिमय मूरत सुपावन और सुख-सद्भावमय
भाव-जग की अमिट गरिमा,बाल-जीवन श्वास है |

लड़कपन की सुहृद गीता, आत्म-सुख-उल्लास है |
कर सके न उपमा कविवर, प्रीतिरूपी श्वास है |
सुत- सुजीवन खिलखिलाते फूल-सम सुरभित रहे|
बस यही इक कामना हो पूर्ण,ऐसी आस है |

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

उर=हृदय

Language: Hindi
551 Views
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