Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2017 · 1 min read

माँ

श्वास से श्वासा मिली,चुंबन मिला,आनंद था|
मातृमय हर रूप में, शिशु-ध्यान परमानंद था |
छिन गया शुभ मातु- साया,तभी से मैं दीन बन
रोया-देखा माँ-हृदय में प्रेम-सु मकरंद था|

इसी से माँ ज्ञान का साया व्यवस्था बन गया|
मातु-तज, माँ-विचारों से गहन रिश्ता बन गया|
जगत् की इस भीड़ में माँ के सिवा सब मौन हैं|
इसलिए ही, उर पिघल कर, मातु- किस्सा बन गया|

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

उर=हृदय

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 486 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak
View all
You may also like:
केशों से मुक्ता गिरे,
केशों से मुक्ता गिरे,
sushil sarna
स्वरचित कविता..✍️
स्वरचित कविता..✍️
Shubham Pandey (S P)
" सौग़ात " - गीत
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*
*"मुस्कराने की वजह सिर्फ तुम्हीं हो"*
Shashi kala vyas
Sometimes you shut up not
Sometimes you shut up not
Vandana maurya
"आम"
Dr. Kishan tandon kranti
राधा कृष्ण होली भजन
राधा कृष्ण होली भजन
Khaimsingh Saini
*चमचागिरी महान (हास्य-कुंडलिया)*
*चमचागिरी महान (हास्य-कुंडलिया)*
Ravi Prakash
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में...
तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में...
Vishal babu (vishu)
हिंदी क्या है
हिंदी क्या है
Ravi Shukla
2338.पूर्णिका
2338.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आपदा से सहमा आदमी
आपदा से सहमा आदमी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
नई शिक्षा
नई शिक्षा
अंजनीत निज्जर
💐प्रेम कौतुक-559💐
💐प्रेम कौतुक-559💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
+जागृत देवी+
+जागृत देवी+
Ms.Ankit Halke jha
आँखों में ख्व़ाब होना , होता बुरा नहीं।।
आँखों में ख्व़ाब होना , होता बुरा नहीं।।
Godambari Negi
दोहावली...(११)
दोहावली...(११)
डॉ.सीमा अग्रवाल
हर बात हर शै
हर बात हर शै
हिमांशु Kulshrestha
प्री वेडिंग की आँधी
प्री वेडिंग की आँधी
Anil chobisa
चलो दूर चले
चलो दूर चले
Satish Srijan
****रघुवीर आयेंगे****
****रघुवीर आयेंगे****
Kavita Chouhan
तब मानोगे
तब मानोगे
विजय कुमार नामदेव
"निरक्षर-भारती"
Prabhudayal Raniwal
🇭🇺 झाँसी की वीरांगना
🇭🇺 झाँसी की वीरांगना
Pt. Brajesh Kumar Nayak
Behaviour of your relatives..
Behaviour of your relatives..
Suryash Gupta
संतोष भले ही धन हो, एक मूल्य हो, मगर यह ’हारे को हरि नाम’ की
संतोष भले ही धन हो, एक मूल्य हो, मगर यह ’हारे को हरि नाम’ की
Dr MusafiR BaithA
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
कवि रमेशराज
रावण था विद्वान् अगर तो समझो उसकी  सीख रही।
रावण था विद्वान् अगर तो समझो उसकी सीख रही।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
दीमक जैसे खा रही,
दीमक जैसे खा रही,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...