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1 Jul 2017 · 1 min read

माँ ( हाइकु )

प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
———————————-
हाइकु
01.
माँ का आँचल
छँट जाते दुःख के
घने बादल ।
—0—
02.
खुशियाँ लाती
तुलसी चौंरे में माँ
बाती जलाती ।
—0—
03.
छोटी दूनिया
पर माँ का आचल
कभी न छोटा ।
—0—
04.
दुआएँ माँ की
ये अनाथों को कहाँ ?
मिले सौभाग्य !
—0—
05.
लिखा माँ नाम
कलम बोल उठी
है चारों धाम ।
—0—
-प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
Mob. 7828104111
____________________________

Language: Hindi
371 Views
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