माँ ये प्यार कहाँ से लाती होगी।
माँ तू कितने कष्ट सहती होगी
हर पल सीने से लगाए रखती
वो अथाह स्नेह औऱ प्यार
तू कहाँ से लाती होगी।
वो पालने की नींद सुलाना
वो मधुर संगीत सुनाना
फिर हंसकर मुझे झांकना
ये मुस्कान कहाँ सेलाती होगी।
वो सांझ की दुत्कार भरी आवाज
फिर आंचल मे बिठाकर
चन्दामामा की कहानी
वो लोरियां कहां से लाती होगी।
बात बात पर मेरा रोना
कभी माथे कभी नब्ज को टटोलना
हर दर्द की दवा बताना
तू ये हकीमी कहां से लाती होगी।
वो शाला की पहली सीढी़
उंगली पकड़ कर चढ़ना
उससे पहले पहेलियां बुझाना
तू ये उपदेश कहां से लाती होगी।
कदम कदम पर ठोकर खाई
सबसे पहले तू याद आईं
उस परमपिता से भी अच्छी
तूने ये सूरत कहां से पाई होगी।
जब भी सामने आती माँ
हरदम मुस्कुराती माँ
धरती भी तभी कहलाती माँ
माँ तू ये नाम कहां से लाई होगी।
रचनाकार:—प्रेम कश्यप