Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2017 · 1 min read

माँ बोलो

माँ बोलो
मेरा था क्या कसूर
क्यों अपने से दूर किया
तुम्हें किसने मजबूर किया
तुम तो ममता से ओत-प्रोत
फिर कदम चले तेरे किस ओर
क्यों तुमने मुझे मिटा दिया
इस दुनिया में आने न दिया
माँ
मेरी बस यही एक गलती थी
एक बेटी तेरे गर्भ में पलती थी
बेटे की चाह में किया खतम
तूने कर दी हत्या मेरी निर्मम
अभिशप्त बेटियाँ इतनी किंचित
माँ भी न करेगी उन्हें सिंचित
क्यों बेटी का कोई अस्तित्व नहीं
उन्हें जीवित रहने का भी हक नहीं
माँ
तू भी तो एक बेटी ही थी
क्या तेरी माँ ने तुम्हें मारा था
तेरा जीवन संहारा था
माँ
बेटी तुझ पर बोझ बनी
तूने अपनी ही छाया कोख में मारी है
नारी मुक्ति की बातें करती
क्या सच में तू
इक्कीसवीं सदी की नारी है।

Language: Hindi
463 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शिक्षक दिवस पर गुरुवृंद जनों को समर्पित
शिक्षक दिवस पर गुरुवृंद जनों को समर्पित
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
VINOD CHAUHAN
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी का
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी का
Rambali Mishra
शायद वो खत तूने बिना पढ़े ही जलाया होगा।।
शायद वो खत तूने बिना पढ़े ही जलाया होगा।।
★ IPS KAMAL THAKUR ★
💐अज्ञात के प्रति-135💐
💐अज्ञात के प्रति-135💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"सावधान"
Dr. Kishan tandon kranti
माँ की करते हम भक्ति,  माँ कि शक्ति अपार
माँ की करते हम भक्ति, माँ कि शक्ति अपार
Anil chobisa
खुद पर यकीन करके
खुद पर यकीन करके
Dr fauzia Naseem shad
*मंदिर यात्रा वृत्तांत*
*मंदिर यात्रा वृत्तांत*
Ravi Prakash
हमें उससे नहीं कोई गिला भी
हमें उससे नहीं कोई गिला भी
Irshad Aatif
डा. अम्बेडकर बुद्ध से बड़े थे / पुस्तक परिचय
डा. अम्बेडकर बुद्ध से बड़े थे / पुस्तक परिचय
Dr MusafiR BaithA
आप, मैं और एक कप चाय।
आप, मैं और एक कप चाय।
Urmil Suman(श्री)
बिताया कीजिए कुछ वक्त
बिताया कीजिए कुछ वक्त
पूर्वार्थ
9) खबर है इनकार तेरा
9) खबर है इनकार तेरा
पूनम झा 'प्रथमा'
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
Shweta Soni
समर्पण
समर्पण
Sanjay ' शून्य'
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
Kanchan Khanna
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
आओ नया निर्माण करें
आओ नया निर्माण करें
Vishnu Prasad 'panchotiya'
23/107.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/107.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
श्री गणेश वंदना:
श्री गणेश वंदना:
जगदीश शर्मा सहज
ये, जो बुरा वक्त आता है ना,
ये, जो बुरा वक्त आता है ना,
Sandeep Mishra
कोशिश कम न थी मुझे गिराने की,
कोशिश कम न थी मुझे गिराने की,
Vindhya Prakash Mishra
पलकों की
पलकों की
हिमांशु Kulshrestha
जगदम्ब शिवा
जगदम्ब शिवा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जख्म हरे सब हो गए,
जख्म हरे सब हो गए,
sushil sarna
बन्द‌ है दरवाजा सपने बाहर खड़े हैं
बन्द‌ है दरवाजा सपने बाहर खड़े हैं
Upasana Upadhyay
◆आज की बात◆
◆आज की बात◆
*Author प्रणय प्रभात*
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
Lokesh Singh
Loading...