महादेव
पाप पुण्य के युद्ध में जो खुद को मिटाता है।
त्याग कर अमृत हलाहल विष अपनाता है।
निस्वार्थ लोकहित में जीवन अर्पण कर दे।
वो स्वयंशंभू, नीलकंठ, महादेव कहलाता है ।।
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डी. के. निवातिया
पाप पुण्य के युद्ध में जो खुद को मिटाता है।
त्याग कर अमृत हलाहल विष अपनाता है।
निस्वार्थ लोकहित में जीवन अर्पण कर दे।
वो स्वयंशंभू, नीलकंठ, महादेव कहलाता है ।।
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डी. के. निवातिया