Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2017 · 1 min read

मसलहत

मसलहत थी इक आशियां बनाने की
तुम बना बैठे महखाने को अपना घर ।
तल्ख़ कर बैठे जिन्दगी अपनी
ज़ाम-ए-ज़हर जो सीने में उतरा तुमने
परतोख़ बहुत थे तुम्हारे सामने
पर अंधा कर दिया इस ज़ाम ने
अब तो संभलो यह जिंदगी तुम्हारी है
बहुत जारीबाना चुकाया तुमने इस ज़ाम का
अब तो छोड़ने का बेख़ता अख़्तियार है तुमको
या अब भी प्यार मयस्सर है इससे
अगर है भी तो तब्दील करो यार इसमें
जवाबदेह होना है ख़ुदा के इजलास में
मसलहत है अब भी प्यार के असबाब की
मसलहत थी इक आशियां बनाने की
तुम बना बैठे महखाने को अपना घर ।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
327 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Good morning
Good morning
Neeraj Agarwal
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
...........!
...........!
शेखर सिंह
#पंचैती
#पंचैती
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
*****देव प्रबोधिनी*****
*****देव प्रबोधिनी*****
Kavita Chouhan
ताउम्र लाल रंग से वास्ता रहा मेरा
ताउम्र लाल रंग से वास्ता रहा मेरा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
🌸हास्य रस घनाक्षरी🌸
🌸हास्य रस घनाक्षरी🌸
Ravi Prakash
किस तरह से गुज़र पाएँगी
किस तरह से गुज़र पाएँगी
हिमांशु Kulshrestha
मेरा जीवन,मेरी सांसे सारा तोहफा तेरे नाम। मौसम की रंगीन मिज़ाजी,पछुवा पुरवा तेरे नाम। ❤️
मेरा जीवन,मेरी सांसे सारा तोहफा तेरे नाम। मौसम की रंगीन मिज़ाजी,पछुवा पुरवा तेरे नाम। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
2804. *पूर्णिका*
2804. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मकर संक्रांति पर्व
मकर संक्रांति पर्व
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
काली मां
काली मां
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दिव्य ज्ञान~
दिव्य ज्ञान~
दिनेश एल० "जैहिंद"
कितने कोमे जिंदगी ! ले अब पूर्ण विराम।
कितने कोमे जिंदगी ! ले अब पूर्ण विराम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
आया नववर्ष
आया नववर्ष
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
"अतितॄष्णा न कर्तव्या तॄष्णां नैव परित्यजेत्।
Mukul Koushik
रिश्ते
रिश्ते
Punam Pande
गवाह तिरंगा बोल रहा आसमान 🇧🇴
गवाह तिरंगा बोल रहा आसमान 🇧🇴
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
*जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले*
*जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुझमें वह कशिश है
तुझमें वह कशिश है
gurudeenverma198
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
अनुभव के आधार पर, पहले थी पहचान
अनुभव के आधार पर, पहले थी पहचान
Dr Archana Gupta
'अ' अनार से
'अ' अनार से
Dr. Kishan tandon kranti
दुर्योधन को चेतावनी
दुर्योधन को चेतावनी
SHAILESH MOHAN
सबका भला कहां करती हैं ये बारिशें
सबका भला कहां करती हैं ये बारिशें
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
मुक्तक
मुक्तक
Rashmi Sanjay
Loading...