मन की अपने देखिये
मन की अपने देखिये , घोड़े जैसी चाल
पंछी जैसे पर लिए, करता खूब धमाल
करता खूब धमाल, साथ सपनों के रहता
वो जाएँ जिस ओर, दिशा में उनकी बहता
कभी अर्चना साथ , न देता जब इसका तन
लगती गहरी चोट ,बुझा रहता फिर ये मन
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद(उ प्र)