..मनाऊं कैसे..?
मम्मी पापा आपको अपना
सीना चीर दिखाऊँ कैसे
मम्मी पापा रूठ गये हैं
‘सचिन’ उन्हें मनाऊ कैसे?
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.बचपन से जो मुझे सिखाया
आज उन्हें समझाऊँ कैसे
करूण दर्द जिन्हें सहते देखा
उन्हें अपना दर्द दिखाऊँ कैसे
मम्मी पापा रूठ गये हैं
‘सचिन’ उन्हें मनाऊँ कैसे?
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महंगाई अब खड़ी राह में
निजात इससे मैं पाऊँ कैसे
मम्मी पापा के स्वप्नों को
ऐसे पार लगाऊँ कैसे,
मम्मी पापा रूठ गये है
‘सचिन’ उन्हें मनाऊँ कैसे?
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लड़की देखी कर दी शादी
मैं उसको समझाऊँ कैसे
माँ पापा के बलिदानों का
उसको बोध कराऊँ कैसे?
मम्मी पापा रूठ गये हैं
‘सचिन’ उन्हें मनाऊँ कैसे?
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शादी तोड़ जो उसे छोड़ दूं
पीतृ ऋण चुकाऊँ कैसे
बात जो मानू गर पत्नी का
पुत्र का फर्ज निभाऊँ कैसे?
मम्मी पापा रूठ गये हैं
‘सचिन’ उन्हें मनाऊँ कैसे।
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धर्म का संकट खड़ा है संमुख
इससे पार मैं पाऊँ कैसे
हे ईश्वर दुविधा से उबारो
कुल का नाम डुबाऊँ कैसे?
मम्मी पापा रूठ गये हैं
‘सचिन’ उन्हें मनाऊँ कैसे?
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा,प.चम्पारण
माता पिता के चरण कमलो में सादर नमन।
ईश्वर से यहीं प्रार्थना है कि ईन्हें हमारी भी उम्र लग जाय।
मातृ पितृ चरणकमले भ्यो नमः।