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3 Aug 2017 · 1 min read

मत जाना

सादर प्रेषित
स्वरचित
मिले हमदम हम मुश्किल से,
कि मुख तुम मोड़ मत जाना।
जिंदगी में तन्हा हमको
सनम तुम छोड़ मत जाना।

ख़ता और मेरी गलती माफ कर देना।
जो चाहे कहना और फटकारना हमको,
मगर दुनिया भरोसे दिलदार
सांवरिया छोड़ मत जाना।

हे कान्हा पास बैठो और हृदय की पीर तो बांटो,
अनसुनी करके मेरी व्यथा बनवारी दूर मत जाना।
है लंबी लिस्ट उन सबकी,सताया मुझको जिस जिसने।
है अग्रिम नाम सुन तेरा मेरे प्यारे मोहन।
शिकायत तुझसे है तेरी, स्वयं को भूल मत जाना।

बहुत सा मलाल और शिकवे शिकायत मेरे उर में हैं,
समीप बैठ कर कान्हा हाल नीलम का सुन जाना ।
जाने कब से सहे जाती हृदय पर घाव अपनों के,
नासूर बन गये जो घाव,मरहम उसपे आ लगाना।

नीलम शर्मा

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