Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2017 · 2 min read

मत्तग्यन्द सवैया

देख गरीब मजाक करो नहि,हाल बनो किस कारण जानो ।

मानुष  दौलत  पास   कितेकहु,दौलत  देख  नही  इतरानो ।

ये  तन  मानुष को मिलयो,बस एक यही अब धर्म निभानो ।

नेह सुधा  बरसा  धरती पर,सीख  सिखा  सबको  हरषानो ।

=======================

काल घड़ी सब ही बदले अबनायक भ्रष्ट बने अधिकारी ।

भीतर  भीतर  घात  करें  मनमीत  रहे न रही अब यारी ।

बात करे सब स्वारथ की तब,बात रही नहि मानस वारी ।

पूत – पिता मतभेद परो अब,दाम बने जग के गिरधारी ।।

=======================

देखत  रूप  अनूप मनोहर,मोहित   मोहन   पे  हुइ  गोरी ।

श्यामल श्याम की’सूरत पे,दिल हार गई वृषभानु किशोरी ।

नींदहुँ  आवत  नाहि  उसे अब,नैनन  में वु समाय गयो री ।

बैरनियां  बन  रात  सतावत,मारत  है  अब  याद निगोरी ।

=======================

रूपवती   वह  चंद्रमुखी,लब लाल रचे लट नागिन कारी ।

नैन कटार गुलाबिहु गाल,ललाट लगी टिकुली बहु प्यारी ।

कानन में लटके झुमका,अरु नाक सजी नथुनी मतबारी ।

रूप  मनोहर  देखत  ही,सुधि भूल गये खुद ही बनवारी ।

=======================

दीप जले अँधियार मिटा,अगयान मिटा जब ज्ञान पसारा ।

प्रीत झरी जब गीत बना,मनमीत बही जब नेह की’ धारा ।

पर्व  बना  खुशियाँ बरसी,तब रीत बनी चल लीकहु यारा ।

धीरज कूँ धर जीत मिली,अरु ध्यान धरे उतरा भव पारा ।।

=======================

शौकिन को यह दौर चलो,फिर शौकन पे धनधान लुटायो ।

भ्रात  रहो  नहि  भ्रात यहाँ,सब  गैरन  में अपनापन पायो ।

पूत  पिता  मतभेद  हुओ,अब लालच है उर माहि समायो ।

टूटत  है  परिवार  यहाँ,जब आप छलो,अपनों बिखरायो ।।
=======================

दर्द  उठो  मन  कम्पित  है,तन होत यहाँ नित मान उतारी ।

छोड़ दियो चित चिन्तन कूँ,तज लीक बने नव रीतहु धारी ।

त्याग करो तप को फिर भी,धर रूप बने वह लोग पुजारी ।

स्वाद लगो धन को बिन कूँ,अब धर्म तजे सब ही धनुधारी ।
=======================
जान  धरे  कर ऊपर  कूँ,अरु जीवन जोखिम में धर दीनो ।

छोड़  सभी  परिवार  बसे,घर बार्डर कूँ  फिर मानहु लीनो ।

वीर  डरें  कब  संकट   ते,डर के यह जीवन है नहि जीनो ।

जान बड़ी नहि मान बड़ो,कह बात निछावर जीवन कीनो ।
=======================
प्रेम बढो पुरजोर हुओ मन,मोहन के बिन चैन न आवे ।

भूख लगे नहि प्यास लगे अब,दर्श बिना कछु मोय न भावे ।

राह निहारत बीत गयो दिन,रात वही फिर याद सतावे ।

रोय रही वृषभानु लली सुन,साँवरिया कितनो तड़पावे ।
=======================
      नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”©
      श्रोत्रिय निवास बयाना
     +91 84 4008-4006

Language: Hindi
1 Like · 457 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
Manoj Mahato
बस इतना सा दे अलहदाई का नज़राना,
बस इतना सा दे अलहदाई का नज़राना,
ओसमणी साहू 'ओश'
वक़्त
वक़्त
विजय कुमार अग्रवाल
किसकी कश्ती किसका किनारा
किसकी कश्ती किसका किनारा
डॉ० रोहित कौशिक
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
दर्द की मानसिकता
दर्द की मानसिकता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*याद तुम्हारी*
*याद तुम्हारी*
Poonam Matia
क़ीमती लिबास(Dress) पहन कर शख़्सियत(Personality) अच्छी बनाने स
क़ीमती लिबास(Dress) पहन कर शख़्सियत(Personality) अच्छी बनाने स
Trishika S Dhara
"अकाल"
Dr. Kishan tandon kranti
राजे तुम्ही पुन्हा जन्माला आलाच नाही
राजे तुम्ही पुन्हा जन्माला आलाच नाही
Shinde Poonam
*मनायेंगे स्वतंत्रता दिवस*
*मनायेंगे स्वतंत्रता दिवस*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
I hide my depression,
I hide my depression,
Vandana maurya
रहता हूँ  ग़ाफ़िल, मख़लूक़ ए ख़ुदा से वफ़ा चाहता हूँ
रहता हूँ ग़ाफ़िल, मख़लूक़ ए ख़ुदा से वफ़ा चाहता हूँ
Mohd Anas
सताया ना कर ये जिंदगी
सताया ना कर ये जिंदगी
Rituraj shivem verma
गांव की सैर
गांव की सैर
जगदीश लववंशी
मोबाईल की लत
मोबाईल की लत
शांतिलाल सोनी
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा 🇮🇳
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा 🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दीपावली
दीपावली
Deepali Kalra
💐प्रेम कौतुक-426💐
💐प्रेम कौतुक-426💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार (कुंडलिया)*
*सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
फुदक फुदक कर ऐ गौरैया
फुदक फुदक कर ऐ गौरैया
Rita Singh
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
सत्य कुमार प्रेमी
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
SHAMA PARVEEN
जरुरत क्या है देखकर मुस्कुराने की।
जरुरत क्या है देखकर मुस्कुराने की।
Ashwini sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
शिव प्रताप लोधी
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
Shweta Soni
Loading...