भूकम्प
भूकंप पर हमारे भाव सादर…
कुंडलिया-छंद
ईश्वर तेरे द्वार पर,
ये कैसा अंधेर।
जीवन की आशा जहाँ,
पर लाशों का ढेर
पर लाशों ढेर।
देखिए हे करुणाकर,
सुनिए करुण पुकार,
हमारे पाप क्षमाँकर।
‘अनेकांत’कवि विनत,
करे प्रार्थना सस्वर।
महाकष्ट भूकंप,
होय कभी न हे ईश्वर।।
राजेन्द्र’अनेकांत’
बालाघाट दि.०७-०२-१७