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21 Aug 2017 · 2 min read

****भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ****

इंकलाब से लिखूँ, अपने ईमान से लिखूँ,
अपने दिल से लिखूँ , अपनी जान से लिखूँ,
शहीदों की शहीदी से लिखूँ, दुश्मन के कत्लेआम से लिखूँ,
आफताब पर भी भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ ॥1॥

राणा की हुंकार से लिखूँ, शिवा की दहाड़ से लिखूँ,
मनु की वीरता से लिखूँ,सुभाष की धीरता से लिखूँ,
क्रान्ति की आग से लिखूँ,जलिया के बाग से लिखूँ,
क्रान्तिकारियों के बलिदान से भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ॥2॥

दधीचि के परमार्थ से लिखूँ, इन्द्र के स्वार्थ से लिखूँ,
भगत के पराक्रम से लिखूँ,तिलक के स्वराज्य से लिखूँ,
आजाद की गोली से लिखूँ,जय हिन्द की बोली से लिखूँ,
संस्कृति के शोर से भारत माँ नाम बड़े शान से लिखूँ॥3॥

शबरी के नेम से लिखूँ, मीरा के प्रेम से लिखूँ,
जटायु के त्याग से, शुकदेव के वैराग्य से लिखूँ,
नरेन्द्र के भाषण से लिखूँ, अहिल्या के तारण से लिखूँ,
वृक्षों के पत्ते-पत्ते पर भी भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ ॥4॥

आंजनेय की भक्ति से लिखूँ,कृष्ण की योग शक्ति से लिखूँ,
राम के आदर्श से लिखूँ, चाणक्य के परामर्श से लिखूँ,
विक्रम के यश से लिखूँ,विभीषण के अपयश से लिखूँ,
वीरों की गाथा से भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ॥5॥

सागर की गहराई से लिखूँ, पर्वत की ऊँचाई से लिखूँ,
अन्तरिक्ष के निर्वात से लिखूँ, पाताल की रहस्य से लिखूँ,
गंगा की अविरल धारा से लिखूँ,सावन की बाहारा से लिखूँ,
धरा के कण कण पर भारत माँ नाम बड़े शान से लिखूँ॥6॥

गीता के योगसे लिखूँ,रामचरित मानस के प्रयोग से लिखूँ,
भागवत के वियोग से लिखूँ, ऋगवेद के वाणी से लिखूँ,
उपनिषद के उपदेश से लिखूँ, कुरान की आयत से लिखूँ,
इतिहास के पन्ने-2 पर भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ॥7॥

माता के सौरभ से लिखूँ,पिता के गौरव से लिखूँ,
भाई की पुकार से लिखूँ, बहना के दुलार से लिखूँ,
दादी के लाड़ से लिखूँ, दादा के प्यार से लिखूँ,
रक्त सम्बन्धों में भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ॥8॥

अंबेडकर के संविधान से लिखूँ,भारत के नौजवान से लिखूँ,
गाँधी के सत्य से लिखूँ,,सरदार की देशभक्ति से लिखूँ,
खुदीराम की जवानी से लिखूँ, सुरैया की अफसाने से लिखूँ,
गीतों के स्वरों से भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ॥9॥

कपिल के सांख्य से लिखूँ, शंकर के भाष्य से लिखूँ,
कबीर की साखी से लिखूँ,दिल की झाँकी से लिखूँ,
पाणिनी के व्याकरण से लिखूँ, वैष्णव के आचरण से लिखूँ,
सन्तों के संग से भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ ॥10॥

भारतेन्दु की भाषा प्रेम से लिखूँ, गुप्त के काव्य प्रेम से लिखूँ,
प्रेमचन्द की कहानी से लिखूँ, महादेवी की जुवानी से लिखूँ,
पन्त की प्रकृति से लिखूँ, भारती की स्वीकृति से लिखूँ,
कवियों के पक्ष से भारत माँ का नाम बड़े शान से लिखूँ ॥11॥

क्रमशः………………………

##अभिषेक पाराशर##

Language: Hindi
538 Views
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