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30 Jul 2017 · 1 min read

बड़े भाई

मेरी उलझन को इतना क्यों बढ़ाते हो बड़े भाई
तुम अपना दर्द मुझसे क्यों छुपाते हो बड़े भाई

अकेले में तुम्हे पाया है मैंने सिसकियाँ भरते
सभी के सामने तुम मुस्कुराते हो बड़े भाई

बने हैं बोझ हम तुम पर मगर तुम कुछ नहीं कहते
सभी का बोझ हँसकर तुम उठाते हो बड़े भाई

हमारे घर के आँगन में पसर जाता है सन्नाटा
कभी जब गाँव से तुम दूर जाते हो बड़े भाई

हमें जी भर हँसाने के लिए तुम क्या नहीं करते
हमें इतना हँसाकर क्यों रुलाते हो बड़े भाई

शिवकुमार बिलगरामी

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