Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jul 2016 · 1 min read

बड़ी है इमारत बड़ा ये नगर है

बड़ी है इमारत बड़ा ये नगर है
यहाँ छत न आँगन मगर पास घर है

सवेरे सभी हड़बड़ी में निकलते
बिछी चाँदनी में घरों को पहुँचते
लगें एक मेहमान से घर में अपने
अलग ज़िन्दगी का यहाँ पर सफर है
बड़ी है इमारत बड़ा ये नगर है

नज़र हर जगह बस कबूतर ही आते
गुटर गूं गुटर गूं यही गुनगुनाते
नहीं चहचहाहट यहाँ पंछियों की
घुला जो धुएँ का हवा में जहर है
बड़ी है इमारत बड़ा ये नगर है

लड़ें माँ पिता घर में तन्हाइयों से
हुआ दूर रिश्ता बहन भाइयों से
अकेले अकेले जिए जा रहे ये
न अपनी न इनको किसी की खबर है
बड़ी है इमारत बड़ा ये नगर है

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद(उ प्र)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 9 Comments · 543 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-475💐
💐प्रेम कौतुक-475💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैंने रात को जागकर देखा है
मैंने रात को जागकर देखा है
शेखर सिंह
"नया साल में"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम से सिर्फ इतनी- सी इंतजा है कि -
तुम से सिर्फ इतनी- सी इंतजा है कि -
लक्ष्मी सिंह
घूर
घूर
Dr MusafiR BaithA
चंद्रयान-२ और ३ मिशन
चंद्रयान-२ और ३ मिशन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
विधवा
विधवा
Buddha Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
मैं भौंर की हूं लालिमा।
मैं भौंर की हूं लालिमा।
Surinder blackpen
हारिये न हिम्मत तब तक....
हारिये न हिम्मत तब तक....
कृष्ण मलिक अम्बाला
रखो कितनी भी शराफत वफा सादगी
रखो कितनी भी शराफत वफा सादगी
Mahesh Tiwari 'Ayan'
जुदाई - चंद अशआर
जुदाई - चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
वाह रे मेरे समाज
वाह रे मेरे समाज
Dr Manju Saini
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Seema gupta,Alwar
ओ मेरे गणपति महेश
ओ मेरे गणपति महेश
Swami Ganganiya
Khuch wakt ke bad , log tumhe padhna shuru krenge.
Khuch wakt ke bad , log tumhe padhna shuru krenge.
Sakshi Tripathi
राख के ढेर की गर्मी
राख के ढेर की गर्मी
Atul "Krishn"
ठगी
ठगी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
उफ़ ये बेटियाँ
उफ़ ये बेटियाँ
SHAMA PARVEEN
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते है,
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते है,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
जिस्मानी इश्क
जिस्मानी इश्क
Sanjay ' शून्य'
2450.पूर्णिका
2450.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मैं हूं आदिवासी
मैं हूं आदिवासी
नेताम आर सी
प्रकृति का अनुपम उपहार है जीवन
प्रकृति का अनुपम उपहार है जीवन
Er. Sanjay Shrivastava
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
🙅महा-राष्ट्रवाद🙅
🙅महा-राष्ट्रवाद🙅
*Author प्रणय प्रभात*
देशभक्त
देशभक्त
Shekhar Chandra Mitra
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...