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13 Apr 2017 · 1 min read

बैसाख महीना

आया गरम बैसाख महीना,धरती तपती आग जैसे ।
नदिया सूखी कंठ भी सूखे,धूप लगे है शूल जैसे ।।
बच्चे करते उधम कितनी घर लगता है उनको जेल।
छुपन छुपाइ खेले खेल, पल में झगड़ा पल में मेल ।।
गुनगुन नाचे वैभव गाये, छुटकी देबू खूब नहाये।
बहे पसीना बिखरे बाल,रोज कटे तरबूजा लाल ।।
खेलें बाहर उड़े पतंग,धूप लगे सतरंगी जैसे ।
नदिया सूखी खेत भी सूखे सूखी ताल तलैया ।।
कोयल कूके भंवरे गायें,आँगन में चहके गौरैया ।
वैसाखी की होगी धूम,मिली छुटटीया आयें घूम।।
पंखे कूलर दे न राहत, धरती लागे बंजर जैसी।
आया आम बड़ा रसीला, खरबूजा है रंग रंगीला।।
लस्सी मट्ठा गन्ने का रस,मिले तराबट इनको पीकर ।
बैसाख महीना कितना भाये, नयी उमंगें लेकर आये।
धूप गर्मी नहीं सताये, हो जाये गर यारों जैसे ।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा (मध्य प्रदेश )
9479611151

Language: Hindi
Tag: गीत
696 Views
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