Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jul 2017 · 1 min read

बेटी के आर्त स्वर

बेटियाँ
मैं भी दुनियाँ देखन चाहूँ ,मुझको भी जिंदा रहने दो।
तड़पा दिल ममता को मेरा, मुझको मत तिल-तिल मरने दो।।

माँ, भगिनी, पत्नी बनकर, ममता ,प्रेम लुटाऊँगी।
‘माँ’ बेटे जब तज देंगे, हर पीड़ा स्वयं उठाऊँगी।
मैं बेटी हूँ भार यही ,क्या इतना सा ही दोष मेरा।
काँटों के पथ पर चलकर, पी जाऊँगी रोष मेरा।

बस दहेज के लालच में, बीजों को मत गिरने दो।
मैं भी दुनियाँ देखन चाहूँ ,मुझको भी जिंदा रहने दो।।1।।

विश्व कप या स्वर्ण पदक, बेटी ही हकदार बनीं।
मर्यादा की रक्षा में, बेटी ही तलवार बनीं।
देश वंश या दुनियाँ हो, नभ से सभी छुआए हैं।
किस लज्जा से दुनियाँ में, क्यों हम शीश झुकाए हैं।

मैं नहीं शिकायत करती हूँ, मुझको भी आगे बढ़ने दो।
मैं भी दुनियाँ देखन चाहूँ ,मुझको भी जिंदा रहने दो।।2।।

किसने समाज को मेरे व्याह, के सौदे का अधिकार दिया।
वेदों ने दुर्गा कहकर, जगती का आधार दिया।
कुछ बुरी निगाहें देख रहीं, क्या है डर इसका तुमको।
हर खतरे से लड़ पाने का, रब से सामर्थ्य दिया मुझको।

दायित्व पुत्र सम मेरा भी, मुझको भी गोद खेलने दो।
मैं भी दुनियाँ देखन चाहूँ ,मुझको भी जिंदा रहने दो।।3।।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुरकलाँ, सबलगढ़(म.प्र.)

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 484 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
View all
You may also like:
ऐ जिन्दगी मैने तुम्हारा
ऐ जिन्दगी मैने तुम्हारा
पूर्वार्थ
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
sushil sarna
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
Ranjeet kumar patre
बेटियां! दोपहर की झपकी सी
बेटियां! दोपहर की झपकी सी
Manu Vashistha
"तस्वीर"
Dr. Kishan tandon kranti
क्यूँ भागती हैं औरतें
क्यूँ भागती हैं औरतें
Pratibha Pandey
देखिए आप आप सा हूँ मैं
देखिए आप आप सा हूँ मैं
Anis Shah
सजे थाल में सौ-सौ दीपक, जगमग-जगमग करते (मुक्तक)
सजे थाल में सौ-सौ दीपक, जगमग-जगमग करते (मुक्तक)
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-303💐
💐प्रेम कौतुक-303💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरे होंठों पर
मेरे होंठों पर
Surinder blackpen
माघी दोहे ....
माघी दोहे ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
I am always in search of the
I am always in search of the "why",
Manisha Manjari
राम दीन की शादी
राम दीन की शादी
Satish Srijan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
रंग जीवन के
रंग जीवन के
Ranjana Verma
जुगनू
जुगनू
Gurdeep Saggu
मुझको शिकायत है
मुझको शिकायत है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
-- प्यार --
-- प्यार --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
23/88.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/88.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़मीर
ज़मीर
Shyam Sundar Subramanian
नया साल
नया साल
Dr fauzia Naseem shad
■ इकलखोरों के लिए अनमोल उपहार
■ इकलखोरों के लिए अनमोल उपहार "अकेलापन।"
*Author प्रणय प्रभात*
कविता
कविता
Shiva Awasthi
हुआ क्या तोड़ आयी प्रीत को जो  एक  है  नारी
हुआ क्या तोड़ आयी प्रीत को जो एक है नारी
Anil Mishra Prahari
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
Neelam Sharma
सूखे पत्तों से भी प्यार लूंगा मैं
सूखे पत्तों से भी प्यार लूंगा मैं
कवि दीपक बवेजा
ज़िन्दगी मैं चाल तेरी  अब  समझती जा रही हूँ
ज़िन्दगी मैं चाल तेरी अब समझती जा रही हूँ
Dr Archana Gupta
सवर्ण
सवर्ण
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"अभी" उम्र नहीं है
Rakesh Rastogi
Loading...