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10 Jan 2017 · 1 min read

बेटियां

देखो जन्म लिया जब मैंने
सबसे में अंजान थी।

लड़के की चाह में जन्मी इस जग मे
मैं बढ़ी मुश्किल से,
दुनिया तब बढ़ी हैरान और परेशान थी।
लुप्त हो गयी सबकी चेहरों की मुस्कान थी।

धीरे धीरे बढ़ी हुई,में भी
कई रिश्तों माँ,बहन,पत्नी
से पहचान थी

अवसर के अभाव,हमारे लिए इस जग में
पंक्षी की भांति रखते हैं, पिंजरे में।
अगर,अवसर मिले हमें भी जब जब,
तब तब सफलता ही परिणाम थी।

आज़ादी की लड़ाई में रानी लक्ष्मी की
भी एक तलवार थी।
ऐवरेस्ट की चोटी पर खड़ी
बछेंद्री पाल थी।
हवा में हमने भी भरी उड़ान थी।

इस जग में रोशन नाम किया जब मैंने
हर जबाँ पर नाम , मे ही जग और घर घर की पहचान थी।

संस्कारो को जीवित करने,
उन्हें निभाने का एक में ही नाम थी।

लड़की के जन्म पर ख़लिश चहरों
पर मेरे कारण ही मुस्कान थी।

नसीब हो जिनका उनके घर ही जन्म लेती है, बेटियां
अपनी एक मुस्कान से सबका दिल खुश कर दे जो
वैसा ही एक उपहार होती है बेटियां।
गुलिस्ता का चुनिंदा गुलाब होती है,बेटियां

लक्ष्मी,इन्दिरा, किरण और सायना जैसी मिसाल होती है,बेटियां

भूपेंद्र रावत

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