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10 Jan 2017 · 1 min read

बेटियां हैं तो आँगन है…

बेटियां हैं तो ये आँगन है, बेटियां हैं तो घर है
बेटियां जग में ना हों, तो कौन नहीं बेघर है।1।

मेरी बेटी, तेरी बेटी, सबकी बेटियां इक जैसी
बेटियों के बिना सूना,… ये संसार – शहर है।2।

बेटियां झड़ने की झड़-2, वीणा के मधु स्वर हैं
बेटियों से सरस जीवन, जीवन अजर-अमर है।3।

बेटियों के पौध को सींचो प्यार-दुलार के जल से
शिक्षा दो-क़ाबिल बनें, चाहत उनके अंदर है।4।

जिनके जीवन में बेटी-बहन, ना कोई नारी है
उनका जीवन मधुमास में उजड़ है, पतझड़ है।5।

©आनंद बिहारी, चंडीगढ़

1 Like · 1 Comment · 721 Views
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