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21 Jan 2017 · 1 min read

बेटियाँ

★बेटियाँ★
——————-
चम्पाहार श्रृंगार बेटियाँ
खुशबू का संसार बेटियाँ
घर की शोभा दुबरी करतीं
फिर भी मुख से कुछ न कहतीं
मूक रहे हर लेतीं पीड़ा
कब माँगे अधिकार बेटियाँ
थके हुये जीवन को देतीं
एक नया श्रृंगार बेटियाँ
मीरा झाँसी मदर टरेसा
बनकर आईं थी ये बेटियाँ
आँधी तूफान हैं बेटे तो
शीतल मंद बयार बेटियाँ।
शील समर्पण औ’ साहस का,
हैं सुन्दर श्रृंगार बेटियाँ।
पिता के सपनों को सच करतीं,
उनकी हैं मनुहार बेटियाँ।
ममता से तन मन पुलकित कर,
देतीं अतीव उपहार बेटियाँ।
पति के जीवन में अाकर के,
रचती इक संसार बेटियाँ।
और आन कि बात जो होती,
तेज धार तलवार बेटियाँ।
———
— प्रियंका झा ‘प्रवोधिनी’
———

2 Likes · 2 Comments · 582 Views
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