Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Mar 2017 · 3 min read

बुलन्द अशआर

ज़िन्दगी हमको मिली है चन्द रोज़
मौज-मस्ती लाज़मी है चन्द रोज़
प्यार का मौसम जवाँ है दोस्तो
प्यार की महफ़िल सजी है चन्द रोज़ //१.//

काश ! की दर्द दवा बन जाये
ग़म भी एक नशा बन जाये
वक़्त तिरे पहलू में ठहरे
तेरी एक अदा बन जाये //२ .//

तुझसे बेबाक हंसी लेकर
इक मासूम ख़ुदा बन जाये
लैला-मजनूँ, फ़रहाद-सिरी
ऐसी पाक वफ़ा बन जाये //३ .//

है माटी का ये तन आख़िर
वो क्यों मगरूर रहते हैं //४ .//

सच हरदम कहना पगले
झूठ न अब सहना पगले
घबराता हूँ तन्हा मैं
दूर न अब रहना पगले //५.//

दिल का दर्द उभरे जो
शे’र वही कहना पगले
रुक मत जाना एक जगह
दरिया-सा बहना पगले //६.//

साधना कर यूँ सुरों की, सब कहें क्या सुर मिला
बज उठें सब साज दिल के, आज तू यूँ गुनगुना
उसने हरदम कष्ट पाए, कामना जिसने भी की
व्यर्थ मत जी को जलाओ, सोच सब अच्छा हुआ //७.//

हाय! दिलबर चुप न बैठो, राजे-दिल अब खोल दो
बज़्मे-उल्फ़त में छिड़ा है, गुफ्तगूं का सिलसिला
मीरो-ग़ालिब की ज़मीं पर, शेर जो मैंने कहे
कहकशां सजने लगा और लुत्फ़े-महफ़िल आ गया //८.//

सोच का इक दायरा है, उससे मैं कैसे उठूँ
सालती तो है बहुत यादें, मगर मैं क्या करूँ
ज़िंदगी है तेज़ रौ, बह जायेगा सब कुछ यहाँ
कब तलक मैं आँधियों से, जूझता-लड़ता रहूँ //९.//

दिल से उसके जाने कैसा बैर निकला
जिससे अपनापन मिला वो गैर निकला
था करम उस पर ख़ुदा का इसलिए ही
डूबता वो शख़्स कैसा तैर निकला //१०.//

सच हों मेरे स्वप्न सारे, जी, तो चाहे काश मैं
पंछियों से पंख लेकर, आसमां छूने लगूं //११.//

मौज-मस्ती में ही आखिर खो गया क्यों
जो बशर करने चमन की सैर निकला //१२.//

आपको मैं मना नहीं सकता
चीरकर दिल दिखा नहीं सकता
इतना पानी है आँखों में
बादलों में समा नहीं सकता //१३.//

रौशनी को राजमहलों से निकाला चाहिये
देश में छाये तिमिर को अब उजाला चाहिये
सुन सके आवाम जिसकी, आहटें बेख़ौफ़ अब
आज सत्ता के लिए, ऐसा जियाला चाहिये //१४.//

धूप का लश्कर बढ़ा जाता है
छाँव का मन्ज़र लुटा जाता है
रौशनी में कदर पैनापन
आँख में सुइयाँ चुभा जाता है //१५.//

फूल-पत्तों पर लिखा कुदरत ने
वो करिश्मा कब पढ़ा जाता है
चहचहाते पंछियों के कलरव में
प्यार का मौसम खिला जाता है //१६.//

पाठशाला बना यह जीवन आजकल
नित नया पाठ है, भूख और प्यास का
देश संकट में है मत ठिठोली करो
आज अवसर नहीं, हास-परिहास का //१७.//

लहज़े में क्यों बेरुख़ी है
आपको भी कुछ कमी है
दर्द काग़ज़ में जो उतरा
तब ये जाना शा’इरी है //१८.//

पढ़ लिया उनका भी चेहरा
बंद आँखों में नमी है
सच ज़रा छूके जो गुज़रा
दिल में अब तक सनसनी है //१९.//

छूने को आसमान काफ़ी है
पर अभी कुछ उड़ान बाक़ी है
कैसे ईमां बचाएं हम अपना
सामने खुशबयान साक़ी है //२०.//

ग़रीबों को फ़क़त, उपदेश की घुट्टी पिलाते हो
बड़े आराम से तुम, चैन की बंसी बजाते हो
व्यवस्था कष्टकारी क्यों न हो, किरदार ऐसा है
ये जनता जानती है सब, कहाँ तुम सर झुकाते हो //२१.//

ज़िंदगी से मौत बोली, ख़ाक हस्ती एक दिन
जिस्म को रह जायँगी, रूहें तरसती एक दिन
मौत ही इक चीज़ है, कॉमन सभी में दोस्तो
देखिये क्या सरबलन्दी और पस्ती एक दिन //२२.//

रोज़ बनता और बिगड़ता हुस्न है बाज़ार का
दिल से ज़्यादा तो न होगी, चीज़ सस्ती एक दिन
मुफलिसी है, शाइरी है और है दीवानगी
“रंग लाएगी हमारी फाकामस्ती एक दिन” //२३.//

काँटे ख़ुद के लिए जब चुने दोस्तो
आम से ख़ास यूँ हम बने दोस्तो
राह दुश्वार थी, हर कदम मुश्किलें
पार जंगल किये यूँ घने दोस्तो //२४.//

क्यों बचे नामोनिशां जनतंत्र में
कोई है क्या बाग़वां जनतंत्र में
रहनुमा खुद लूटते हैं कारवां
दुःख भरी है दास्तां जनतंत्र में //२५.//

तसव्वुर का नशा गहरा हुआ है
दिवाना बिन पिए ही झूमता है
गुज़र अब साथ भी मुमकिन कहाँ था
मैं उसको वो मुझे पहचानता है //२६.//

गिरी बिजली नशे मन पर हमारे
न रोया कोई, कैसा हादिसा है
बलन्दी नाचती है सर पे चढ़के
कहाँ वो मेरी जानिब देखता है //२७.//

जिसे कल ग़ैर समझे थे वही अब
रगे – जां में हमारी आ बसा है //२८.//

************

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 3 Comments · 739 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
।।आध्यात्मिक प्रेम।।
।।आध्यात्मिक प्रेम।।
Aryan Raj
हिंदी सबसे प्यारा है
हिंदी सबसे प्यारा है
शेख रहमत अली "बस्तवी"
प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से
प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से
Pt. Brajesh Kumar Nayak
* फूल खिले हैं *
* फूल खिले हैं *
surenderpal vaidya
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – ईश्वर का संकेत और नारायण का गृहत्याग – 03
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – ईश्वर का संकेत और नारायण का गृहत्याग – 03
Sadhavi Sonarkar
#चाकलेटडे
#चाकलेटडे
सत्य कुमार प्रेमी
अपनों को थोड़ासा समझो तो है ये जिंदगी..
अपनों को थोड़ासा समझो तो है ये जिंदगी..
'अशांत' शेखर
रक्षा बन्धन पर्व ये,
रक्षा बन्धन पर्व ये,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सुलगते एहसास
सुलगते एहसास
Surinder blackpen
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
Buddha Prakash
ज़िंदगी की उलझन;
ज़िंदगी की उलझन;
शोभा कुमारी
अगर फैसला मैं यह कर लूं
अगर फैसला मैं यह कर लूं
gurudeenverma198
कर्मफल भोग
कर्मफल भोग
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
"शीशा और रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
आर.एस. 'प्रीतम'
जिंदगी में हजारों लोग आवाज
जिंदगी में हजारों लोग आवाज
Shubham Pandey (S P)
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का रचना संसार।
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का रचना संसार।
Dr. Narendra Valmiki
इश्क़ में कोई
इश्क़ में कोई
लक्ष्मी सिंह
एकीकरण की राह चुनो
एकीकरण की राह चुनो
Jatashankar Prajapati
सियासत में
सियासत में
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"मेरी जिम्मेदारी "
Pushpraj Anant
एक बालक की अभिलाषा
एक बालक की अभिलाषा
Shyam Sundar Subramanian
ऋतु परिवर्तन
ऋतु परिवर्तन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
*पैसे-वालों में दिखा, महा घमंडी रोग (कुंडलिया)*
*पैसे-वालों में दिखा, महा घमंडी रोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आज जो कल ना रहेगा
आज जो कल ना रहेगा
Ramswaroop Dinkar
मुझसे गुस्सा होकर
मुझसे गुस्सा होकर
Mr.Aksharjeet
🙅महा-ज्ञान🙅
🙅महा-ज्ञान🙅
*Author प्रणय प्रभात*
"अहङ्कारी स एव भवति यः सङ्घर्षं विना हि सर्वं लभते।
Mukul Koushik
Loading...