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26 Nov 2016 · 1 min read

बुझे हुए हैं दीए तमाम मुनव्वर कर दे…………..

बुझे हुए हैं दीए तमाम मुनव्वर कर दे
हसरतों को मोहब्बत का समंदर कर दे

रंग-ओ-खुश्बू को मेरा हमसफ़र कर दे
ज़िंदगी को अपनी याद से मो अतर कर दे

आसमाँ पे रहनेवाले सुन लो सदाएं
मुझे जो भी देना है नीचे उतरकर दे

रंग जम जायेगा महफ़िल में आज उनकी
सुर्खी से रुखसार को तर-बतर कर दे

अर्ज़ है तू उल्फ़त में बस इतना भर कर दे
ख़बर मेरी ले ना ले अपनी ख़बर कर दे

सुना है इक सिक्के के पहलू हैं ए खुदा तो
खुशी के दिन लंबे गम के मुख़्तसर कर दे

इश्क़ की बरसात मुझे भी तर बतर कर दे
नाम की मेरे शब-ए-वस्ल मुक़र्रर कर दे

अहसान इतना सा मिरे ए हमसफ़र कर दे
मुहब्बत के दरिया का तू समंदर कर दे

जाग जाए इश्क़ दिल में उनके ए ख़ुदाया
सुखन मिरा तू इस हद तक़ पुर असर कर दे

Suresh sangwan ‘saru’

2 Comments · 474 Views
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