Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2016 · 1 min read

बीमार कलम

कोई नहीं जानता
पर मै जानती हूं
बहुत अच्छा नहीं पर मै लिखती हूं

आज फिर कुछ सुन्दर विचारो के साथ
मै लिखने बैठ गयी

दिल मे धडकन, हाथो मे फडकन ,मस्तिष्क मे विचार
मगर कलम था जैसे बीमार लाचार
कईपन्ने फटे, कई को मैने फाड दिया
समझ न आये आज कलम को क्या हुआ
असफल हुई कई कोशिशो के बाद
अचानक आया मुझे याद
आज मैने किसी का शायद दिल दुखा दिया
जो लिखती हूं उसके विपरीत कुछ किया
क्या सभी के हाथो मे ,ऐसे ही कलम होते है
जो सिर्फ हाथो से नही आत्मा से चलते है
किससे पूंछू कि वो कलम कहां मिलते है
जो कुछ सोचते नही , बस लिखते ,लिखते और लिखते है

Language: Hindi
278 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हर कदम प्यासा रहा...,
हर कदम प्यासा रहा...,
Priya princess panwar
घरौंदा
घरौंदा
Madhavi Srivastava
काट  रहे  सब  पेड़   नहीं  यह, सोच  रहे  परिणाम भयावह।
काट रहे सब पेड़ नहीं यह, सोच रहे परिणाम भयावह।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
एहसास.....
एहसास.....
Harminder Kaur
मौन जीव के ज्ञान को, देता  अर्थ विशाल ।
मौन जीव के ज्ञान को, देता अर्थ विशाल ।
sushil sarna
उपेक्षित फूल
उपेक्षित फूल
SATPAL CHAUHAN
Mere shaksiyat  ki kitab se ab ,
Mere shaksiyat ki kitab se ab ,
Sakshi Tripathi
■ सनातन सत्य...
■ सनातन सत्य...
*Author प्रणय प्रभात*
है जिसका रहमो करम और प्यार है मुझ पर।
है जिसका रहमो करम और प्यार है मुझ पर।
सत्य कुमार प्रेमी
नाम में सिंह लगाने से कोई आदमी सिंह नहीं बन सकता बल्कि उसका
नाम में सिंह लगाने से कोई आदमी सिंह नहीं बन सकता बल्कि उसका
Dr. Man Mohan Krishna
अज्ञात के प्रति-1
अज्ञात के प्रति-1
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरे हिस्से सब कम आता है
मेरे हिस्से सब कम आता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मन रे क्यों तू तड़पे इतना, कोई जान ना पायो रे
मन रे क्यों तू तड़पे इतना, कोई जान ना पायो रे
Anand Kumar
जीवन में ईमानदारी, सहजता और सकारात्मक विचार कभीं मत छोड़िए य
जीवन में ईमानदारी, सहजता और सकारात्मक विचार कभीं मत छोड़िए य
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
Radhakishan R. Mundhra
दशरथ माँझी संग हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
दशरथ माँझी संग हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कहा हों मोहन, तुम दिखते नहीं हों !
कहा हों मोहन, तुम दिखते नहीं हों !
The_dk_poetry
*हार में भी होंठ पर, मुस्कान रहना चाहिए 【मुक्तक】*
*हार में भी होंठ पर, मुस्कान रहना चाहिए 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
* मायने शहर के *
* मायने शहर के *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सब कुछ पा लेने की इच्छा ही तृष्णा है और कृपापात्र प्राणी ईश्
सब कुछ पा लेने की इच्छा ही तृष्णा है और कृपापात्र प्राणी ईश्
Sanjay ' शून्य'
मास्टर जी: एक अनकही प्रेमकथा (प्रतिनिधि कहानी)
मास्टर जी: एक अनकही प्रेमकथा (प्रतिनिधि कहानी)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अरमान
अरमान
Neeraj Agarwal
Line.....!
Line.....!
Vicky Purohit
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
फिरकापरस्ती
फिरकापरस्ती
Shekhar Chandra Mitra
।।  अपनी ही कीमत।।
।। अपनी ही कीमत।।
Madhu Mundhra Mull
विश्व कप लाना फिर एक बार, अग्रिम तुम्हें बधाई है
विश्व कप लाना फिर एक बार, अग्रिम तुम्हें बधाई है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*दहेज*
*दहेज*
Rituraj shivem verma
धरा
धरा
Kavita Chouhan
Loading...