बीत जैसे गया सफर उनका
बीत जैसे गया सफर उनका
हर नशा ही गया उतर उनका
गम छिपाते रहे वो हँस हँस कर
देखते रह गए हुनर उनका
जब हवाओं के साथ चलना हो
देखना, रुख भी है किधर उनका
जो सुनी थी कहानियाँ माँ से
ज़िन्दगी भर रहा असर उनका
वो भले साथ चल नहीं पाए
मार्गदर्शन मिला मगर उनका
‘अर्चना’ राज खुल ही जायेंगे
सामना हो गया अगर उनका
डॉ अर्चना गुप्ता