Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Sep 2016 · 1 min read

बिन बेटी ममता न पूरी

बिन बेटी ममता न पूरी
माँ की कितनी आस अधूरी ।
बेटी है हर घर का गहना
बिन बेटी सब आँगन सूना ।
बेटी बिना त्योहार अधूरे
बेटी बिना संस्कार न पूरे ।
बेटी है माँ की परछाई
फिर बेटी कैसे हुई परायी ?
बेटी है पापा का अभिमान
उससे पाते सब सम्मान ।

डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली- 47

Language: Hindi
468 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rita Singh
View all
You may also like:
पितृ दिवस
पितृ दिवस
Ram Krishan Rastogi
देवतुल्य है भाई मेरा
देवतुल्य है भाई मेरा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खाली मन...... एक सच
खाली मन...... एक सच
Neeraj Agarwal
अपनी स्टाईल में वो,
अपनी स्टाईल में वो,
Dr. Man Mohan Krishna
गरीबी और लाचारी
गरीबी और लाचारी
Mukesh Kumar Sonkar
భారత దేశ వీరుల్లారా
భారత దేశ వీరుల్లారా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मत रो लाल
मत रो लाल
Shekhar Chandra Mitra
3267.*पूर्णिका*
3267.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मां से ही तो सीखा है।
मां से ही तो सीखा है।
SATPAL CHAUHAN
विश्व तुम्हारे हाथों में,
विश्व तुम्हारे हाथों में,
कुंवर बहादुर सिंह
“गणतंत्र दिवस”
“गणतंत्र दिवस”
पंकज कुमार कर्ण
गोरी का झुमका
गोरी का झुमका
Surinder blackpen
मेरी एजुकेशन शायरी
मेरी एजुकेशन शायरी
Ms.Ankit Halke jha
खुशनसीब
खुशनसीब
Naushaba Suriya
उलझते रिश्तो को सुलझाना मुश्किल हो गया है
उलझते रिश्तो को सुलझाना मुश्किल हो गया है
Harminder Kaur
"कारण"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन की इतने युद्ध लड़े
जीवन की इतने युद्ध लड़े
ruby kumari
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
*इन तीन पर कायम रहो*
*इन तीन पर कायम रहो*
Dushyant Kumar
मोहब्बत है अगर तुमको जिंदगी से
मोहब्बत है अगर तुमको जिंदगी से
gurudeenverma198
भय भव भंजक
भय भव भंजक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मोहतरमा कुबूल है..... कुबूल है /लवकुश यादव
मोहतरमा कुबूल है..... कुबूल है /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
लोगो को उनको बाते ज्यादा अच्छी लगती है जो लोग उनके मन और रुच
लोगो को उनको बाते ज्यादा अच्छी लगती है जो लोग उनके मन और रुच
Rj Anand Prajapati
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
आर.एस. 'प्रीतम'
*नहीं जब धन हमारा है, तो ये अभिमान किसके हैं (मुक्तक)*
*नहीं जब धन हमारा है, तो ये अभिमान किसके हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
चाँदनी
चाँदनी
नन्दलाल सुथार "राही"
साँसें कागज की नाँव पर,
साँसें कागज की नाँव पर,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
भगवान श्री परशुराम जयंती
भगवान श्री परशुराम जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...