Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2017 · 1 min read

बाल श्रम एक अभिशाप

बाल श्रम है  ,
एक अभिशाप।
जो भी करवाते,
उनसे काम ,
वो है,
पाप का भागीदार।
बच्चे तो हैं,
देश का भविष्य।
उनकी सही,
जगह है स्कूल।
वो तो हैं ,
इस देश का मूल,
उनका जीवन हो अनुकूल।
बाल श्रम है,
एक सामाजिक समस्या।
और हैं    राष्टीय   समस्या, 
बाल मजदूर मजबूर है,
अपने परिवार की  मदद करना,
उसका दस्तूर है।
पैसे के आभाव में,
करना परता उसको काम।
कभी मज़बूरी तो ,
कभी जबरदस्ती करना ,
परता उसको काम।
बच्चों को अगवा करके,
उनसे भीख मंगवाया जाता है,
और उनसे जानवरों जैसा,
काम करवाया जाता हैं।
दिन रात करवाते उनको काम,
एक छन का भी नहीं ,
उनको आराम।
वो हो जाते हैं बेबस,
उनका जीवन हो जाता नीरस
बीता बचपन लौट ना आये,
आओ हम बचपन बचाये।
बच्चों का भविष्य बनाना होगा,
बाल श्रम को मिटाना होगा।

      नाम-ममता रानी ,राधानगर, (बाँका)

                 

Language: Hindi
2 Likes · 530 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Rani
View all
You may also like:
3221.*पूर्णिका*
3221.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सजि गेल अयोध्या धाम
सजि गेल अयोध्या धाम
मनोज कर्ण
दुख में भी मुस्कुराएंगे, विपदा दूर भगाएंगे।
दुख में भी मुस्कुराएंगे, विपदा दूर भगाएंगे।
डॉ.सीमा अग्रवाल
श्री राम
श्री राम
Kavita Chouhan
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
Radhakishan R. Mundhra
दोहा-प्रहार
दोहा-प्रहार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
विधाता का लेख
विधाता का लेख
rubichetanshukla 781
बूढ़ा बरगद का पेड़ बोला (मार्मिक कविता)
बूढ़ा बरगद का पेड़ बोला (मार्मिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
you don’t need a certain number of friends, you just need a
you don’t need a certain number of friends, you just need a
पूर्वार्थ
दोस्त
दोस्त
Pratibha Pandey
*आए दिन त्योहार के, मस्ती और उमंग (कुंडलिया)*
*आए दिन त्योहार के, मस्ती और उमंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
* मिल बढ़ो आगे *
* मिल बढ़ो आगे *
surenderpal vaidya
काश यह मन एक अबाबील होता
काश यह मन एक अबाबील होता
Atul "Krishn"
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*मौत आग का दरिया*
*मौत आग का दरिया*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
होली का त्यौहार
होली का त्यौहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"तफ्तीश"
Dr. Kishan tandon kranti
शिव अराधना
शिव अराधना
नवीन जोशी 'नवल'
नारी शक्ति वंदन
नारी शक्ति वंदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
पढ़ाई
पढ़ाई
Kanchan Alok Malu
ये मतलबी दुनिया है साहब,
ये मतलबी दुनिया है साहब,
Umender kumar
क्या अब भी किसी पे, इतना बिखरती हों क्या ?
क्या अब भी किसी पे, इतना बिखरती हों क्या ?
The_dk_poetry
Jindagi ka safar bada nirala hai ,
Jindagi ka safar bada nirala hai ,
Sakshi Tripathi
पद्मावती छंद
पद्मावती छंद
Subhash Singhai
■ ज्वलंत सवाल
■ ज्वलंत सवाल
*Author प्रणय प्रभात*
ईश्वर की बनाई दुनिया में
ईश्वर की बनाई दुनिया में
Shweta Soni
गर्म चाय
गर्म चाय
Kanchan Khanna
नौकरी (१)
नौकरी (१)
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
खास हम नहीं मिलते तो
खास हम नहीं मिलते तो
gurudeenverma198
Loading...