Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Aug 2016 · 1 min read

बारिश की वे साँझें (स्मृति चित्र )

काली घटाएँ , साँझ , तेज हवायेँ और बारिश की फुहारें ।
छातों में सिमटते दामन बचाते लोग
उड़ते आँचल ,भीगते बदन तेज कदम लड़कियां ।
सड़क में गड्ढे ,गड्ढों में पानी छपा छप ।
बगल से गुजरती बाइक उछालती छपाक, मटमैला पानी ।
मढ़ैया के ऊपर छाये आम के पेड़ पर पक्षियों का कलरव ।
किसी घर के दरवाजे पर बच्चों को तकती माँ ।
किसी अटारी के झरोखे से झाँकती प्रतीक्षारत नायिका ।
नुक्कड़ के ढाबे पर खौलती चाय ,गर्म चाय की चुसकियों पर
बहसें और किस्से ।
उन किस्सों में कुछ किस्से हमेशा अधूरे रह जाते थे ।
और इंतजार होता फिर किसी वैसी शाम का ।
रात को तो घर लौटना ही होता था ,
सूखे या भीगते हुए ।

Language: Hindi
296 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Ranjan Goswami
View all
You may also like:
"मन मेँ थोड़ा, गाँव लिए चल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"कूँचे गरीब के"
Ekta chitrangini
इंटरनेट
इंटरनेट
Vedha Singh
कविता
कविता
Shiva Awasthi
*पानी व्यर्थ न गंवाओ*
*पानी व्यर्थ न गंवाओ*
Dushyant Kumar
"डिजिटल दुनिया! खो गए हैं हम.. इस डिजिटल दुनिया के मोह में,
पूर्वार्थ
*गिरिधर कविराय सम्मान*
*गिरिधर कविराय सम्मान*
Ravi Prakash
"मुश्किल है मिलना"
Dr. Kishan tandon kranti
कौन कहता है की ,
कौन कहता है की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*
*"शिक्षक"*
Shashi kala vyas
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sundeep Thakur
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लोकतंत्र का मंदिर
लोकतंत्र का मंदिर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
I sit at dark to bright up in the sky 😍 by sakshi
Sakshi Tripathi
झाँका जो इंसान में,
झाँका जो इंसान में,
sushil sarna
इतनी भी
इतनी भी
Santosh Shrivastava
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
surenderpal vaidya
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे
Buddha Prakash
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
_सुलेखा.
ज़ुल्मत की रात
ज़ुल्मत की रात
Shekhar Chandra Mitra
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
ममता
ममता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
■ बेवक़ूफ़ कौन....?
■ बेवक़ूफ़ कौन....?
*Author प्रणय प्रभात*
कीच कीच
कीच कीच
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अब तक मैं
अब तक मैं
gurudeenverma198
लोगो को उनको बाते ज्यादा अच्छी लगती है जो लोग उनके मन और रुच
लोगो को उनको बाते ज्यादा अच्छी लगती है जो लोग उनके मन और रुच
Rj Anand Prajapati
माँ तुम्हारे रूप से
माँ तुम्हारे रूप से
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
चंद्रयान-थ्री
चंद्रयान-थ्री
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
Ritu Asooja
Loading...