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8 May 2017 · 1 min read

“बादल”

बादल काले छाँय जब,अंबर में घनघोर।
चातक गाते गीत नव,मोर मचाये शोर।
मोर मचाये शोर ,कृषक जन है हर्षाते।
बरसे नीर अपार ,मेंढक हैं टर्राते।
कह प्रशांत कविराय ,मुदित दिखते हैं खग दल।
अंबर में घनघोर, छांय जब काले बादल।

प्रशांत शर्मा “सरल”
नरसिंहपुर

1 Like · 444 Views
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