बात पहुचानी है सुशील जी ….2122, 2212, 2212,2122
आँख में आंसू, तलब का जखीरा ले के क्या करोगे
हर किसी के आगे अपना रोना ले के क्या करोगे
##_पाँव में हो जंजीर तो वाजिब नहीं सोचना ये
##_ढोल-ढपली या हाथ मंजीरा ले के क्या करोगे
सितम के कितने मायने होगे किसे था पता तब
फकत फतवों में आदमी हीरा ले के क्या करोगे
###_लेखनी में ,बाजार में,बलिदान में, याद आते
###_सूर-मीरा,संत-सजग कबीरा ले के क्या करोगे
वो किताबों के लोग थे इतिहास के सब पुरोधा
असल में वो दर्जा वही -रुतबा ले के क्या करोगे
####_ऊँट तक पहुचानी है तुमको बात अपनी सुशील जी
####_मुठ्ठियों कहने भर बोलो जीरा ले के क्या करोगे
सुशील यादव
१३.१.१७