बात नज़रों की हुई, दिल को मुहब्बत हो गई
बात नज़रों की हुई, दिल को मुहब्बत हो गई
और अपनी ज़िंदगी भी खूबसूरत हो गई
प्यार में भाने लगा बस चाँद तारों का जहाँ
और सारे ही जमाने से बगावत हो गई
सोचते थे स्वप्न में ही प्यार से मिल लें गले
नींद पर आती नही अब ये शिकायत हो गई
वादे तो करते बहुत लेकिन निभाते वो नहीं
बस बनाने ही बहाने उनकी आदत हो गई
आइना भी सच बताएगा भला कैसे वहाँ
सामने उसके खड़ी जब झूठी सूरत हो गई
इस मुहब्बत ने बदल देखो दिया इतना यहाँ
‘अर्चना’की ज़िन्दगी भी बस इबादत हो गई