Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2017 · 1 min read

” ————————————————– बहका नंदन वन है ” !!

रूप कटीला , नयन नशीले , बांकी सी चितवन है !!
तेरे बिन सूना है सब कुछ , यहां बसे मधुवन है !!

रंग बिरंगी चोली चूनर , रंग भरे हैं सपने !
रंग बिरंगी आशाओं संग , उजला उजला मन है!!

हैं पराग सी मुदित शोखियाँ , काया बनी हिरनिया !
रुखसारों की देखी रंगत , बहका नन्दनवन है !!

बड़े पेंच ज़ुल्फों में जानो , दिल भी झूल रहा है !
मदिर मदिर मुस्कानों में बस , हम तो हुऐ मगन हैं !!

आभूषण झूमे चूमे है , इतराते हैं तुझ पर !
खुशियों के सत्कार में डूबे , सबके अंतर्मन हैं !!

हंसी लहलहाई ऐसी है , खेतों में हलचल है !
हाथ नहीं कुछ लगा हमारे , जानो ऐक ठगन है !!

तुमने रचा है एसा मेला , लगती भटकन भारी !
हम तो ऐसे यहां रमे हैं , पगली लगे थकन है !!

बृज व्यास

Language: Hindi
Tag: गीत
807 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
(18) छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ !
(18) छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ !
Kishore Nigam
*हे!शारदे*
*हे!शारदे*
Dushyant Kumar
शबे- फित्ना
शबे- फित्ना
मनोज कुमार
माँ तेरे चरणों मे
माँ तेरे चरणों मे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
खुद को मसखरा बनाया जिसने,
खुद को मसखरा बनाया जिसने,
Satish Srijan
आत्मघाती हमला
आत्मघाती हमला
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
"बदलाव"
Dr. Kishan tandon kranti
हमको तंहाई का
हमको तंहाई का
Dr fauzia Naseem shad
कहीं दूर चले आए हैं घर से
कहीं दूर चले आए हैं घर से
पूर्वार्थ
आजकल का प्राणी कितना विचित्र है,
आजकल का प्राणी कितना विचित्र है,
Divya kumari
उसको भी प्यार की ज़रूरत है
उसको भी प्यार की ज़रूरत है
Aadarsh Dubey
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
Mahendra Narayan
बाबा भीम आये हैं
बाबा भीम आये हैं
gurudeenverma198
देश अनेक
देश अनेक
Santosh Shrivastava
प्यार किया हो जिसने, पाने की चाह वह नहीं रखते।
प्यार किया हो जिसने, पाने की चाह वह नहीं रखते।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
वैश्विक जलवायु परिवर्तन और मानव जीवन पर इसका प्रभाव
वैश्विक जलवायु परिवर्तन और मानव जीवन पर इसका प्रभाव
Shyam Sundar Subramanian
हौंसले को समेट कर मेघ बन
हौंसले को समेट कर मेघ बन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हो गया
हो गया
sushil sarna
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बाबागिरी
बाबागिरी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
फितरत
फितरत
kavita verma
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
काली हवा ( ये दिल्ली है मेरे यार...)
Manju Singh
*चाँद कुछ कहना है आज * ( 17 of 25 )
*चाँद कुछ कहना है आज * ( 17 of 25 )
Kshma Urmila
गीत
गीत
जगदीश शर्मा सहज
प्रथम संवाद में अपने से श्रेष्ठ को कभी मित्र नहीं कहना , हो
प्रथम संवाद में अपने से श्रेष्ठ को कभी मित्र नहीं कहना , हो
DrLakshman Jha Parimal
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
■ शर्म भी कर लो।
■ शर्म भी कर लो।
*Author प्रणय प्रभात*
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
Suryakant Dwivedi
गांव - माँ का मंदिर
गांव - माँ का मंदिर
नवीन जोशी 'नवल'
Loading...