Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2017 · 3 min read

बसेरा

मुझे यहाँ पर नौकरी ज्वाइन किये हुए अभी छ: महीने बीते थे,| मेरे ऑफिस में करीब १५-२० महिलाये काम करती थीं उनमें से एक थीं सुजाता जी जोकि मेरे ही विभाग में पोस्टेड थीं, अक्सर उनसे काम के अलावा व्यक्तिगत बातें भी होतीं रहतीं थीं | वे स्वभाव से बहुत ही सौम्य तथा गंभीर थीं , उम्र में मुझसे करीब १०-१२ वर्ष बड़ी थीं | मैं भी वरिष्ठ होने की वज़ह से उनका सम्मान तथा ख़ास ख्याल रखती थी , उन्होंने विवाह नहीं किया था | एक दिन मैंने उनसे घनिष्टता होने के बाद विवाह न करने का कारण पूछ ही लिया , तब उन्होंने बताया कि मेरे पिता जब मैं अभी पढ़ ही रही थी तब गुज़र गए थे , मेरी तीन छोटी बहनें और एक सबसे छोटा भाई है पिताजी के जाने की बाद पूरे घर की जिम्मेदारी माताजी पर आ पड़ी , मेरी माँ बहुत अधिक पढ़ी लिखी नहीं थीं बस छोटे बच्चों को घर पर ही पढ़ाकर जो थोडा बहुत कमा लेतीं थीं उससे ही गुज़ारा होता था , जैसे तैसे घर की गाडी रेंगती रही | मैं तब बी.ए. कर रही थी साथ ही साथ कंप्यूटर कोर्स भी किया था , आगे न पढ़ पाई और नौकरी की तलाश करने लगी और एक दिन मुझे यहाँ नौकरी मिल गयी , अब मैंने अपनी सभी बहनों तथा छोटे भाई को पढ़ा लिखाकर उनका विवाह कर दिया है और अब मैं अपनी माँ की देखभाल करती हूँ, इसलिए मैंने विवाह नहीं किया | मेरे यह पूछने पर कि क्या अब आप अपना घर नहीं बसा सकतीं , अभी आपकी उम्र इतनी कहाँ है , क्या सारा जीवन ऐसे ही काट देंगी , इस पर उनकी आँखों से आंसू बहने लगे और तब उन्होंने बताया कि मेरी माँ ही अब नहीं चाहतीं कि मैं उनको छोड़कर जाऊं और कोई अब तक ऐसा नहीं मिला जो मुझे मेरी माँ के साथ अपनाए , बहुत प्रयास किये लेकिन कोई ऐसा नहीं मिला और अब तो मेरा अपना भी मन नहीं चाहता | उनके इतना बताने पर मैंने उनसे कहा कि आप अखबार में इश्तिहार दीजिये , कोई न कोई तो ऐसा होगा जो विवाह के लिए राज़ी होगा | में उनको यह सलाह देकर घर आने के लिए निकल पड़ी | ऑफिस से घर आने के लिए में बस में बैठी कि माँ द्वारा कहे गए कई वर्ष पुराने शब्द याद आ रहे थे जब मैंने भी पिताजी के चले जाने के बाद उनसे अपनी इच्छा ज़ाहिर की थी की माँ मैं अभी विवाह नहीं करूंगी , मैं अपनी बहनों को पढ़ा लिखाकर उनको सेटल करूंगी तब अपना विवाह करूंगी पर माँ इसके लिए राज़ी नहीं हुईं उन्होंने कहा कि ” तुम्हारा यदि मैंने विवाह समय पर न किया तो तुम शायद सदा के लिए अविवाहित रह जाओगी, हमें तुम पर निर्भर रहने की आदत हो जायेगी और ज़रा यह भी सोचो तुम्हारे पति के रूप में मुझे एक बेटा भी तो मिल सकता है , और फिर घर में एक पुरूष सदस्य भी तो आ जायेगा, हमारा परिवार पूर्ण हो जाएगा ” उनकी यह बात एकदम सही साबित हुई , आज इनका मेरे परिवार में बेटे का ही तो स्थान है , माँ इनको मुझसे भी अधिक स्नेह देती हैं और खुश दिखाई पड़ती हैं , उनको खुश देखकर मुझे बहुत संतोष होता है , बहुत गर्व होता है माँ की दूरदर्शिता के ऊपर , आज मैं भी अपने दोनों बच्चों के साथ बहुत खुश हूँ , यदि माँ उस दिन यह न समझातीं तो शायद मैं भी सुजाता जी की तरह ही एकाकी होती, मेरा अपना बसेरा नहीं होता |

Language: Hindi
1 Like · 330 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
Shashi Dhar Kumar
कर्म से कर्म परिभाषित
कर्म से कर्म परिभाषित
Neerja Sharma
जाड़ा
जाड़ा
नूरफातिमा खातून नूरी
तुम नफरत करो
तुम नफरत करो
Harminder Kaur
"मैं" के रंगों में रंगे होते हैं, आत्मा के ये परिधान।
Manisha Manjari
मेरा एक मित्र मेरा 1980 रुपया दो साल से दे नहीं रहा था, आज स
मेरा एक मित्र मेरा 1980 रुपया दो साल से दे नहीं रहा था, आज स
Anand Kumar
मानता हूँ हम लड़े थे कभी
मानता हूँ हम लड़े थे कभी
gurudeenverma198
*पर्वतों का इस तरह आनंद आप उठाइए (हास्य हिंदी गजल/ गीतिका)*
*पर्वतों का इस तरह आनंद आप उठाइए (हास्य हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
इस मोड़ पर
इस मोड़ पर
Punam Pande
मुफलिसों को जो भी हॅंसा पाया।
मुफलिसों को जो भी हॅंसा पाया।
सत्य कुमार प्रेमी
"Communication is everything. Always always tell people exac
पूर्वार्थ
2
2
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मेरी जिंदगी
मेरी जिंदगी
ओनिका सेतिया 'अनु '
प्रात काल की शुद्ध हवा
प्रात काल की शुद्ध हवा
लक्ष्मी सिंह
जिन्दगी कागज़ की कश्ती।
जिन्दगी कागज़ की कश्ती।
Taj Mohammad
तुम हमेशा से  मेरा आईना हो॥
तुम हमेशा से मेरा आईना हो॥
कुमार
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
Amit Pathak
ओ लहर बहती रहो …
ओ लहर बहती रहो …
Rekha Drolia
मुरली कि धुन,
मुरली कि धुन,
Anil chobisa
प्रेम.......................................................
प्रेम.......................................................
Swara Kumari arya
चिन्ता और चिता मे अंतर
चिन्ता और चिता मे अंतर
Ram Krishan Rastogi
प्रहार-2
प्रहार-2
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सलाह .... लघुकथा
सलाह .... लघुकथा
sushil sarna
राम छोड़ ना कोई हमारे..
राम छोड़ ना कोई हमारे..
Vijay kumar Pandey
सुना था कि इंतज़ार का फल मीठा होता है।
सुना था कि इंतज़ार का फल मीठा होता है।
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त
वक्त
Shyam Sundar Subramanian
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
इश्क़
इश्क़
हिमांशु Kulshrestha
हाल अब मेरा
हाल अब मेरा
Dr fauzia Naseem shad
पल परिवर्तन
पल परिवर्तन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...