Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2017 · 1 min read

बसन्त के फूल

फूल।पुष्प।प्रसून ।

सरसों उमड़ी खेत में, ,,,खिले बसन्ती फूल ।
तेरे मेरे प्यार का,,,,,,,,,,,, मौसम है अनुकूल ।।

परसो पनपे पात संग,,,,,, पावन पुष्प प्रसून ।
पुलकित हो प्रभात में , कम हो गया जुनून ।

सुख दुख कांटे फूल है ,कभी धूप सा छाव ।
बनी रहे समरूपता,, मरहम हो या घाव ।।

राम केश मिश्र

Language: Hindi
289 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
!! गुलशन के गुल !!
!! गुलशन के गुल !!
Chunnu Lal Gupta
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अपराह्न का अंशुमान
अपराह्न का अंशुमान
Satish Srijan
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
■ लघुकथा
■ लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
बचपन
बचपन
नन्दलाल सुथार "राही"
★किसान ★
★किसान ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
राह बनाएं काट पहाड़
राह बनाएं काट पहाड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
* सत्य,
* सत्य,"मीठा या कड़वा" *
मनोज कर्ण
दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी . . . .
sushil sarna
हल
हल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
Neelam Sharma
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
Rj Anand Prajapati
वक्त कितना भी बुरा हो,
वक्त कितना भी बुरा हो,
Dr. Man Mohan Krishna
क्या अजीब बात है
क्या अजीब बात है
Atul "Krishn"
"पहचान"
Dr. Kishan tandon kranti
ਦਿਲ  ਦੇ ਦਰਵਾਜੇ ਤੇ ਫਿਰ  ਦੇ ਰਿਹਾ ਦਸਤਕ ਕੋਈ ।
ਦਿਲ ਦੇ ਦਰਵਾਜੇ ਤੇ ਫਿਰ ਦੇ ਰਿਹਾ ਦਸਤਕ ਕੋਈ ।
Surinder blackpen
विरह गीत
विरह गीत
नाथ सोनांचली
फेसबुक पर सक्रिय रहितो अनजान हम बनल रहैत छी ! आहाँ बधाई शुभक
फेसबुक पर सक्रिय रहितो अनजान हम बनल रहैत छी ! आहाँ बधाई शुभक
DrLakshman Jha Parimal
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कृष्ण सा हैं प्रेम मेरा
कृष्ण सा हैं प्रेम मेरा
The_dk_poetry
*सदियों से सुख-दुख के मौसम, इस धरती पर आते हैं (हिंदी गजल)*
*सदियों से सुख-दुख के मौसम, इस धरती पर आते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
सुकून
सुकून
Neeraj Agarwal
प्रेम ईश्वर
प्रेम ईश्वर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जल से निकली जलपरी
जल से निकली जलपरी
लक्ष्मी सिंह
ख्वाब उसका पूरा नहीं हुआ
ख्वाब उसका पूरा नहीं हुआ
gurudeenverma198
ज़िंदगी भी समझ में
ज़िंदगी भी समझ में
Dr fauzia Naseem shad
बुध्द गीत
बुध्द गीत
Buddha Prakash
Loading...